संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकी संगठनों जैश-ए-मुहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन की नापाक करतूतों को उजागर किया है। यूएन रिपोर्ट के मुताबिक इन आतंकी संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में पिछले साल बच्चों की भर्ती की और इनका सुरक्षा बलों के साथ झड़प में इस्तेमाल किया। बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की सालाना रिपोर्ट गुरुवार को जारी की गई। इसके अनुसार, साल 2017 में दुनियाभर में हुए संघर्षो में दस हजार से ज्यादा बच्चे मारे गए या घायल हुए। इस रिपोर्ट में युद्ध प्रभावित सीरिया, अफगानिस्तान और यमन समेत 20 देशों को शामिल किया गया है। इसमें भारत, फिलीपींस और नाइजीरिया के हालात का भी जिक्र किया गया है।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने एक वीडियो किया था जारी
रिपोर्ट में भारत के हालात पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने कहा कि सशस्त्र संगठनों और सरकारी बलों के बीच हिंसा से बच्चे लगातार प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने झारखंड और छत्तीसगढ़ की नक्सली समस्या का भी जिक्र किया। रिपोर्ट में कहा गया है, 'जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ झड़प के दौरान प्रतिबंधित आतंकी संगठनों द्वारा बच्चों को इस्तेमाल किए जाने के तीन मामले सामने आए हैं। एक मामले का संबंध जैश-ए-मुहम्मद और दो का हिजबुल मुजाहिदीन से था।'
पाकिस्तान को लेकर यूएनएसजी रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र को लगातार ऐसी खबरें मिल रही हैं कि आतंकी संगठन मदरसों समेत दूसरी जगहों से बच्चों की भर्ती कर रहे हैं। इनका कथित तौर पर आत्मघाती हमलों में इस्तेमाल किया जा रहा है। इस साल जनवरी में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने एक वीडियो जारी किया था।
इसमें यह दिखाया गया कि लड़कियों समेत बच्चों को यह निर्देश दिया जा रहा है कि आत्मघाती हमलों को किस तरह अंजाम दिया जाता है। यूएन महासचिव गुतेरस ने कहा कि वह स्कूलों और खासतौर पर बालिका शिक्षा पर जारी हमलों से चिंतित हैं। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से स्कूलों पर हमलों को रोकने के उपाय करने की अपील की है। दिसंबर, 2014 में आतंकियों ने पेशावर के सैनिक स्कूल पर हमला किया था। इसमें 150 लोग मारे गए थे जिसमें ज्यादातर बच्चे थे।