नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्रिटेन दौरे के दौरान बुधवार को ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा से मुलाकात की। इस मीटिंग में विशेष रूप से वैश्विक आतंकवाद का मुद्दा छाया रहा। भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक दोनों देशों के प्रमुखों ने आतंकवाद से निपटने के लिए एक-दूसरे का और ज्यादा सहयोग करने की बात कही है। दोनों देश आने वाले समय में प्रमुख आतंकी संगठनों पर ठोस कदम भी उठा सकते हैं।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि वैश्विक आतंकी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन, हक्कानी नेटवर्क, अलकायदा और आईएसआईएस जैसे संगठनों के खिलाफ भारत और ब्रिटेन मिलकर एक्शन लेंगे। इस पर दोनों देशों के प्रधानमंत्री ने मिलकर बात की। यह ऐक्शन मासूम लोगों को बचाने के लिए लिया जाएगा। दोनों प्रमुखों ने माना कि आतंकी संगठनों को पनाह देना, लोगों की भर्तियों और हमलों को रोकना होगा, जिससे मासूम लोगों को बचाया जा सके। पीएम मोदी और टेरेजा ने इसके लिए इसके लिए पूरी दुनिया से सहयोग करने की बात कही, ताकि आतंकी संगठनों को खत्म किया जा सके।
दोनों देशों के बीच होगा नई ऊर्जा का संचार
ब्रिटिश पीएम थेरेसा से मुलाकात के वक्त पीएम मोदी ने कहा उन्हें भरोसा है कि इस मुलाकात से दोनों देशों के संबंधों में नई ऊर्जा आएगी। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि चीन इंटरनेशनल सोलर अलायंस का हिस्सा बना है और मेरा विश्वास है कि यह सिर्फ क्लाइमेट चेंज के खिलाफ हमारी जंग नहीं है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारा अभियान है। प्रधानमंत्री मोदी से मीटिंग के बाद थेरेसा मे न कहा मुझे उम्मीद है कि हम लोग भारत और ब्रिटेन के लोगों के हितों के लिए साथ मिलकर काम करेंगे। बता दें कि पीएम मोदी तीन देशों की पांच दिवसीय यात्रा पर हैं और मंगलवार को वह ब्रिटेन पहुंचे, जहां वह कॉमनवेल्थ देशों को राष्ट्राध्यक्षों की मीटिंग में शिरकत करेंगे।
पीठ पर वार करने वालों को उसी की भाषा में देंगे जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लंदन के वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हॉल में 'भारत की बात, सबके साथ' कार्यक्रम को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान पर भी निशाना साधा। सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर मोदी ने कहा मैंने खुद पाकिस्तान को फोन कर लाशें उठा ले जाने को कहा था। पीठ पर वार होगा तो उसी की भाषा में जवाब देंगे। पीएम मोदी ने कहा भारत ने कभी किसी की भी जमीन हड़पने का प्रयास नहीं किया। प्रथम और द्वितीय विश्वयुद्ध में 1.5 लाख भारतीय सिपाहियों ने शहादत दी थी, जबकि हमारी कोई लड़ाई नहीं थी। हिंदुस्तान उस पर नजर उठाने वालों को उनकी भाषा में जवाब देना जानता है। भारतीय सेना का अधिकार था न्याय प्राप्त करना और सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए हमने यह कर दिखाया।