बीजिंग। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जहां देश की संसद से आजीवन शासन करने की उनकी योजना को समर्थन मिल चुका है, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि डोकलाम गतिरोध के बाद भारत और चीन के मेल-मिलाप के प्रयासों के बीच जिनपिंग की मनपसंद बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) भारत के साथ चीन के संबंधों को फिर से बहाल करने में प्रमुख चुनौती बन सकती है।
वर्ष 2013 में सत्ता में आने के बाद शी ने कई अरब डॉलर की परियोजना बीआरआई शुरू की थी, लेकिन अब यह दोनों देशों के आपसी संबंधों में प्रमुख बाधक बन गई है। बीआरआई में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपेक) भी शामिल है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने के कारण भारत सीपेक को लेकर विरोध जताता रहा है।
बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार
पिछले साल चीन द्वारा आयोजित बेल्ट एंड रोड फोरम का भी भारत ने बहिष्कार किया था। बीआरआई का लक्ष्य चीन के प्रभुत्व के विस्तार के लिए दुनिया भर में सड़कों के जाल, बंदरगाहों एवं रेल नेटवर्क को बढ़ावा देना है। 11 मार्च को चीन की नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने देश के राष्ट्रपति के लिए दो बार के कार्यकाल की सीमयसीमा हटा दी, जिसके बाद अब उम्मीद है कि शी इस पर और जोर देंगे।
ऐतिहासिक जनादेश आया सामने
सीपेक और पिछले साल 73 दिन लंबे चले डोकलाम गतिरोध सहित कई मुद्दों के चलते भारत-चीन के बीच रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए दोनों देशों के मध्य उच्च स्तरीय संवाद शुरू होने के तुरंत बाद शी के आजीवन राष्ट्रपति बने रहने पर यह ऐतिहासिक जनादेश सामने आया।
शी लेंगे बीआरआई को गंभीरता से
रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण अगले महीने चीन की यात्रा करेंगी। अधिकारियों ने कहा कि रक्षामंत्री की इस यात्रा से संबंधों को सुधारने की दिशा में दोनों देशों के प्रयासों को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मजबूत संदेश जाएगा। उन्होंने कहा शी लंबे समय तक शीर्ष पद पर बने रहेंगे और वह बीआरआई को बेहद गंभीरता से लेने वाले हैं।