टोक्यो। जापान की बड़ी कंपनियां बुधवार को कर्मचारियों के लिए वार्षिक मजदूरी में बढ़ोतरी की घोषणा करने जा रही हैं। इसके साथ ही कर्मचारियों के लिए एक गुड न्यूज है, जबकि कुछ बैड न्यूज भी है। नई घोषणा के साथ कर्मचारी पिछले सालों से दो फीसदी ज्यादा मजदूरी पाएंगे, लेकिन इसके साथ ही बैड न्यूज ये है कि प्रधानमंत्री शिंजो आबे के तीन फीसदी लक्ष्य को पूरा करने में ये फिर भी पीछे रह जाएंगे।
विशेषज्ञों का कहना है कि बोनस और अन्य दूसरे लाभों के लिए निवेश पर कंपनियों का फोकस होगा। खपत को बढ़ावा देने के लिए पीएम शिंजो आबे तीन प्रतिशत लाभ के लिए अभियान चला रहे हैं। लगभग दो दशकों से जापान की अर्थव्यवस्था का पतन करने वाले अपस्फीति को हटा दिया गया है। बैंक आॅफ जापान के गवर्नर हारुहिको कुरोदा ने भी मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत लक्ष्य तक पहुंचने के लिए वेतन में तीन प्रतिशत वृद्धि का आग्रह किया है।
श्रम उत्पादकता के अनुसार नहीं बढ़ा वेतनभले ही कई जापानी कंपनियां नकदी के ढेर पर बैठी हों, वे बेसिक सैलरी बढ़ाने को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि इससे उन्हें निश्चित कर्मियों की लागत में कटौती करना होती है। जापान के कैपिटल इकोनॉमिक्स के वरिष्ठ अर्थशास्त्री मार्सेल थिलीयैंट ने कहा बड़ी तस्वीर यह है कि श्रम उत्पादकता की तुलना में उस तेजी से वेतन नहीं बढ़ रही है, इसलिए वे प्रमुख लागत दबावों का निर्माण नहीं कर रहे हैं। पिछले चार वर्षों में प्रमुख कंपनियां हर साल दो प्रतिशत वेतन को बढ़ाने पर सहमत हुई हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि एक जोखिम यह है कि आने वाले वर्ष में ओवरटाइम वेतन में कटौती से मजदूरी का लाभ कम हो सकता है, क्योंकि कंपनियां सरकार के दबाव में होती हैं। विश्लेषकों का कहना है कि तेजी से बढ़ने वाली आबादी की सेवा के लिए सामाजिक सुरक्षा के कटौती मजदूरी लाभ में कटौती है। जापान के यूनियन पश्चिम में अपनी मांगों को मनवाने की तुलना में कम आक्रामक होते हैं, क्योंकि वे नौकरी की सुरक्षा को अधिक महत्व देते हैं और कॉरपोरेट निष्ठा की भावना को बनाए रखते हैं।