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नागालैंड में अमूर फाल्कन पक्षी की सुरक्षा के लिए कार्यबल गठित

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 24 2019 2:11AM | Updated Date: Nov 24 2019 2:12AM
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कोहिमा। नागालैंड के मोन जिले के उपायुक्त थावसेलेन के. ने जिले में प्रवासी पक्षी अमूर फाल्कन की सुरक्षा के लिए एक संयुक्त कार्यबल का गठन किया है। आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार उपायुक्त ने मोन में जिला उपायुक्त कांफ्रेंस हॉल में शुक्रवार को एक बैठक बुलाई थी जिसमें इस प्रवासी पक्षी का शिकार करने,उन्हें जाल में पकड़ने, मारने और बेचने पर प्रतिबंध लगाने पर चर्चा हुई थी। रिपोर्ट में बताया प्रशासन, पुलिस, ग्रामीण परिषद्, ग्रामीण गार्ड और वन विभाग से संयुक्त कार्य बलों का गठन करके अमूर फाल्कन के संरक्षण के लिए उनके शिकार पर रोक समेत तमाम आवश्यक कदम उठाने के लिए  कहा गया है।

अमूर फाल्कन बाज की दुर्लभ प्रजाति है। इसे उड़ते हुए पक्षियों का शिकार करने वाले शिकारी पक्षियों का राजा माना जाता है। ये पक्षी मूलत: रूस के साइबेरिया क्षेत्र अमूर के हैं। नवंबर में  बर्फबारी से ठीक पहले अनुकूल मौसम और भोजन की तलाश में ये अमूर से पलायन  करके चीन, भारत होते हुए करीब 22 हजार किलोमीटर की यात्रा तय करके अफ्रीका निकल जाते हैं जहां इस वक्त गर्म मौसम रहता  है। हर साल ठंड के मौसम करीब डेढ लाख अमूर फाल्कन पक्षी नागालैंड आते हैं। जिले के  सुंदर दोयंग जलाशय के आसपास के गावों और पंगती गाँव के लोग इन पक्षियों को मार दिया  करते थे। पेड़ों और पोलों से बंधे हुए मछली के जालों में फंसे इन पक्षियों को वे  गोली मार देते थे। 

वर्ष 2012 में 12 हजार से अधिक पक्षी मार दिए गए तो सवाल  उठने लगे। इसके बाद केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इस  पक्षी पर अध्ययन की जिम्मेदारी भारतीय वन्यजीव संस्थान को सौंपी। इसमें  नागालैंड वन विभाग सहित कई अन्य संस्थाएं मदद कर रही हैं। स्थानीय स्तर पर भी इन्हें बचाने की भी मुहिम चलाई गई है। वरिष्ठ पत्रकार बनो  हरालू और संरक्षणकर्ता रोकोहेबी कुओत्सू और बेंगलुरु के सेंटर  फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज में शोधकर्ता शशांक दलवी और इन पक्षियों के संहार के बारे में आवाज उठायी। इसके बाद इनके  संरक्षण का काम  अक्टूबर 2012 से शुरू किया गया।

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