वाशिंगटन। अमेरिका ने पेरिस जलवायु समझौते के कारण देश पर ‘अनुचित आर्थिक बोझ’ पड़ने का हवाला देते हुए इससे अलग होने की सूचना औपचारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र को दे दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति ऐतिहासिक पेरिस समझौते से अलग होने की घोषणा एक जून 2017 को कर चुके थे लेकिन इसकी प्रक्रिया मंगलवार को इसकी औपचारिक अधिसूचना के साथ शुरू हुई। इस अधिसूचना के मुताबिक अमेरिका चार नवंबर 2020 को इस समझौते से अलग हो जाएगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘आज अमेरिका ने पेरिस समझौते से अलग होने की प्रक्रिया शुरू कर दी। समझौते की शर्तों के मुताबिक अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र को समझौते से अलग होने की औपचारिक सूचना भेज दी है। अधिसूचना देने के एक वर्ष बाद यह प्रभाव में आएगा।’’ संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता ने न्यूयॉर्क में बताया कि अमेरिका ने महासचिव को पेरिस समझौते से हटने की आधिकारिक सूचना चार नवंबर 2019 को दे दी। यह समझौता 12 दिसंबर 2015 को हुआ था.
अमेरिका ने 22 अप्रैल 2016 को पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और तीन सितंबर 2016 को समझौते का पालन करने की स्वीकृति दी थी। विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने इस फैसले के लिए ट्रंप की आलोचना की है। विभिन्न देशों ने अमेरिका के इस निर्णय पर खेद जताया है और निराशा व्यक्त की है। फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने मंगलवार को अमेरिका के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। पिछले महीने ट्रंप ने समझौते को ‘एक त्रासदी’ बताया था और कहा था कि समझौते के तहत कार्बन उत्सर्जन में कटौती के ओबामा प्रशासन के वादों ने अमेरिका की ‘प्रतिस्पर्धा को चोट पहुंचाई’ होगी। जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए पेरिस समझौता 188 देशों को एक साथ लाया है।