बैंकॉक। भारत दक्षिण-पूर्वी एवं पूर्व एशिया के 16 देशों के बीच मुक्त व्यापार व्यवस्था के लिए प्रस्तावित क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) समझौते पर तभी हस्ताक्षर करेगा जब उसकी ओर से उठाये गये महत्वपूर्ण मुद्दों का संतोषजनक समाधान निकाल लिया जायेगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत ने आरसीईपी समझौते में शामिल नहीं होने का फैसला किया है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर दृढ़ हैं कि जब तक मुख्य चिंताओं का समाधान नहीं निकाला जाता, महत्वपूर्ण हितों पर कोई समझौता नहीं होगा। सूत्रों ने कहा कि आरसीईपी समझौता इसकी मूल मंशा को नहीं दर्शाता है।
इसका परिणाम उचित या संतुलित नहीं है। उन्होंने बताया कि भारत ने जिन मुद्दों पर आपत्ति जतायी है, वे आयात में वृद्धि के खिलाफ अपर्याप्त सुरक्षा, चीन के साथ अपर्याप्त अंतर, उत्पत्ति के नियमों के संभावित उपाय, 2014 को आधार वर्ष रखने तथा बाजार पहुंच और गैर-टैरिफ बाधाओं पर कोई विश्वसनीय आश्वासन नहीं होना हैं। आसीईपी में शामिल 10 आसियान देशों और इसके छह मुक्त व्यापार भागीदारों के नेताओं द्वारा जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘भारत के पास महत्वपूर्ण लंबित मुद्दे हैं, जो अनसुलझे हैं। सभी आरसीईपी प्रतिभागी देश इन लंबित मुद्दों को पारस्परिक रूप से संतोषजनक तरीके से हल करने के लिए मिलकर काम करेंगे। भारत का अंतिम निर्णय इन मुद्दों के संतोषजनक समाधान पर निर्भर करेगा।
भारत को आयात शुल्क समाप्त करने, अपनी सेवाओं के लिए बाजार पहुंच और आसान निवेश नियमों पर आपत्ति है। इसकी बड़ी चिंता सामानों का व्यापार है क्योंकि घरेलू उद्योग को डर है कि कम सीमा शुल्क से चीन से आयात की बाढ़ आ जायेगी। नेताओं ने कहा कि आरसीईपी में भाग लेने वाले 15 देशों ने सभी 20 मुद्दों के लिए वार्ता और अनिवार्य रूप से अपने सभी बाजार पहुंच मुद्दों पर निष्कर्ष निकाला है। बयान में कहा गया है,
‘‘हम छोटे और मध्यम उद्यमों, साथ ही साथ हमारे श्रमिकों, उत्पादकों, और उपभोक्ताओं सहित, हमारे व्यवसायों के लाभों के लिए क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखलाओं को आगे बढ़ाने और गहरा करने के इरादे से एक समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। आरसीईपी क्षेत्र के भविष्य के विकास की संभावनाओं को काफी बढ़ावा देगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक योगदान देगा।’’ बयान के मुताबिक तेजी से बदलते वैश्विक माहौल की पृष्ठभूमि में आरसीईपी वार्ता के पूरा होने से पूरे क्षेत्र में खुले व्यापार और निवेश के माहौल के लिए हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता प्रदर्शित होगी।