दुबई। संयुक्त अरब अमीरात में जीविकोपार्जन के लिए गए केरल के 32 वर्षीय युवक राजेश पुथेनवीट्टीली के साथ अजब संयोग हुआ। अदालत के आदेश के बाद भी नियोक्ता के उसके अनुरोध पर गौर नहीं करने से राजेश के सामने अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गई और 14 हजार दिरहम बकाया नहीं मिलने की वजह से वह देश खाली हाथ लौटने की तैयारी कर रहा था। इस बीच राजेश ने ट्वीटर पर मदद की गुहार लगाई और विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने दुबई में भारतीय वाणिज्यदूत को उसकी मदद के लिए कहा। इसके बाद राजेश के सामने रोजगार की पेशकश की झड़ी लग गई और नौकरी के लिए करीब दस आफर आए।
खलीज टाईम्स ने शुक्रवार को राजेश की कहानी आन लाइन प्रकाशित की। राजेश पिछले वर्ष दुबई में बिक्री सहायक की नौकरी के लिए पहुंचा किन्तु एक साल से कम समय में ही कंपनी को नए नियोक्ता के अधिग्रहण करने पर वेतन मिलना बंद हो गया। उसने छह माह का समय बुरी स्थिति में गुजारा और वह अपने मित्रों और समुदाय के लोगों के सहारे ही रहा। काटा। अखबार ने राजेश के बारे में अपनी रिपोर्ट में लिखा ‘‘ परिवार के लोगों से संपर्क करने के लिए मैं नजदीक के एक माल में जाता था जहां मुफ्त वाईफाई होने से व्हाटसएप पर परिवार के लोगों से चैट करता। मेरे पास मोबाइल चार्ज करने के लिए पैसा नहीं था 1’’ वह अपने परिवार में अकेला कमानेवाला था ।
परिवार में उसके बूढ़े माता.पिता,पत्नी और एक बच्चा है। मकान खरीदने के लिए सात लाख रुपए के बैंक रिण का भार भी था। रिपोर्ट में कहा गया है‘‘ मेरा परिवार चाहता था कि सब कुछ छोड़कर देश वापस आ जायें। वह पैसा अथवा अन्य कुछ नहीं चाहते थे। हर रोज वह रोते और मुझसे वापस आने के लिए कहते किन्तु मेरे वापस जाने का तब तक कोई रास्ता नहीं था जब तक भारतीय वाणिज्य दूतावास का मुझसे संपर्क नहीं हो जाता। वह मेरे वापस जाने के टिकट का प्रबंध कर रहे थे और मुझे उम्मीद थी कि वे एक दो दिन में मेरे वापस भेजेंगे जिसके लिए मैं उनका बहुत आभारी था।’’ जनता से मिले समर्थन पर खलीज टाईम्स से राजेश ने कहा ‘‘ मैंने देश वापस लौटने की योजना बना ली थी, किन्तु अब मैं लोगों से मिले प्यार से अभिभूत हूं और अपने फैसले पर पुनर्विचार कर रहा हूं।
आज कुछ लोगों ने कहा वे मुझसे आकर मिलेंगे। मुझे नहीं पता कि क्या वे मेरी मदद के लिए आ रहे हैं अथवा नौकरी की पेशकश के लिए,लेकिन उन लोगों ने कहा है ‘ हम आपसे मिलना चाहते हैं’1’’ दस नौकरियों के लिए मिली पेशकश पर राजेश ने कहा कि वह इसे लेकर निश्चित नहीं है। रोजगार के लिए अधिकांश पेशकश मलयाली समुदाय से हैं जिन लोगों से मेरी बातचीत हुई है वह केरल से हैं और मुझे स्थायी नौकरी के लिए पक्का वायदा किया है। हालांकि मेरा परिवार अब कह रहा है कि वह कोई पेशकश स्वीकार नहीं करे और केरल आकर उनके नजदीक काम करें। इसलिए मैं घर जाकर और परिवार के साथ बातचीत कर फैसला करुंगा। राजेश ने कहा क्योंकि उसके नियोक्ता ने जबाव नहीं दिया है वह अपना वीजा रद्द नहीं करायेगा और भारत जाकर बैंक रिण की कुछ औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद इसी वीजा पर यहां वापस आ सकता है। राजेश के ट्वीट पर 25 जून को विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने जबाव देते हुए यूएई में भारतीय मिशन को उसे हर संभव सहायता मुहैया कराने के लिए कहा था।