लंदन। तेजी से बदल रहे विश्व में हिंदुस्तान का कद दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर हिंदुस्तान की प्रगति का लोहा अब पूरी दुनिया मान रही है। कभी 'सपेरों का देश' माने जाने वाले हिंदुस्तान के साथ कदम ताल मिलाने के लिए पूरे विश्व में होड़ मची हुई है। अमेरिका और रूस समेत तमाम बड़े देश जहाँ हिंदुस्तान के साथ घनिष्ठ सहयोग को आतुर हैं, वहीं एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि कभी हिंदुस्तान पर राज करने वाला ब्रिटेन इस दौड़ में काफी पीछे छूट गया है।
ब्रिटिश संसद की एक जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रिटेन हिंदुस्तान के साथ जुड़ने के लिए वैश्विक दौड़ में पीछे हो रहा है, क्योंकि वह विश्व मंच पर हिंदुस्तान के संवर्धित प्रभाव और शक्ति के हिसाब से अपनी रणनीति को समायोजित करने में असफल रहा है। यूके-भारत वीक 2019 के लॉन्च के अवसर पर ब्रिटिश संसद के सदनों में पहली बार दोनों देशों के रिलेशन पर एक रिपोर्ट जारी की गई।
'बिल्डिंग ब्रिजेज: रिअवेकनिंग यूके-भारत रिलेशन्स' नामक इस रिपोर्ट में दोनों देशों के संबंधों की बारीक पड़ताल की गई है। ये रिपोर्ट हिंदुस्तान के नजरिये से बहुत अहम है। रिपोर्ट में बताया गया कि बढ़ते हुए हिंदुस्तान के साथ जुड़ने के लिए ब्रिटेन वैश्विक दौड़ में पिछड़ रहा है। ब्रिटेन के हिंदुस्तान के साथ हाल के संबंधों की कहानी मुख्य रूप से छूटे हुए अवसरों की है। रिपोर्ट में कई बातों पर चिंता जताई गई है। जिसमें सबसे मुख्य है ब्रिटेन आने वाले हिंदुस्तानी छात्रों के समक्ष कठिनाइयां।