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नेपाल में एक जवान समेत चार भारतीय पर्वतारोहियों की मौत

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 18 2019 1:38AM | Updated Date: May 18 2019 1:38AM
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काठमांडू। हिमालय पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करने के दौरान पिछले दो दिन में एक जवान समेत कम से कम चार भारतीय पर्वतारोहियों की मौत हो गयी जबकि आयरलैंड का एक पर्वतारोही लापता है। भारतीय सेना के जवान नारायण सिंह की मौत विश्व में सबसे खतरनाक और चुनौतीपूर्ण चोटियों में शामिल माउंट मकालू पर सफल आरोहण के बाद लौटते समय हुई। सेना के एक प्रवक्ता ने नई दिल्ली में बताया कि सेना का 18 सदस्यीय पर्वतारोहण अभियान दल 16 मई को सफलतापूर्वक माउंट मकालू के शिखर पर पहुंचा था और वहां से लौटने के दौरान अभियान दल के एक सदस्य नायक नारायण सिंह की मौत हो गयी।
 
नायक नारायण सिंह एक अच्छे पर्वतारोही रह चुके हैं और वह कई अन्य पर्वतारोहण अभियान में भाग ले चुके थे। पिछले वर्ष उन्होंने माउंट कामेट को सफलतापूर्वक फतह किया था। उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के रहने वाले नारायण सिंह 2002 में सेना में शामिल हुए थे। सेवेन समिट ट्रेक्स के अध्यक्ष मिंगमा शेरपा ने बताया कि गुरुवार रात अन्य सदस्यों के साथ पर्वत की चोटी से लौटने के दौरान 8,200 की ऊंचाई पर नारायण सिंह की मौत हो गयी। एक अन्य पर्वतारोही रवि ठाकर शुक्रवार सुबह माउंट एवरेस्ट पर ‘कैंप 4’ के अपने टेंट के अंदर मृत पाया गया।
 
शेरपा ने बताया कि रवि आयरलैंड के प्रसिद्ध पर्वतारोही नोएल रिचर्ड हन्ना के आठ सदस्यीय अभियान दल का हिस्सा था। रवि ने अन्य सदस्यों के साथ गुरुवार सुबह माउंट एवरेस्ट फतह किया था। उसी अभियान दल का एक अन्य सदस्य सीमन शॉन लॉलेस माउंट एवरेस्ट से लौटने के दौरान फिसल गया। आयरलैंड का निवासी सीमन घटना के बाद से लापता है। हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार शेरपा ने कहा, ‘‘लापता आयरिश पर्वतारोही का अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है।’’
 
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार नेपाल में पर्वतारोहण के दौरान कंचनजंगा शिखर के समीप दो भारतीय पर्वतारोहियों की मौत हो गयी। उनकी हाइकिंग कंपनियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। उनकी पहचान 48 वर्षीय विप्लव वैद्य और 46 वर्षीय कुंतल कनरार के रूप में हुई है। पीक प्रमोशन हाइकिंग कंपनी पसंग शेरपा ने बताया कि वैद्य की मौत कंचनजंगा पर्वत से उतरने के दौरान हुई जबकि कनरार की मौत चढ़ाई के दौरान हुई। दोनों कोलकाता के रहने वाले थे। चढ़ाई के इस मौसम में सैकड़ों पर्वतारोही हिमालय की विभिन्न चोटियों पर हैं। चढ़ाई का यह मौसम इस महीने समाप्त हो जाएगा। 
 
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