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Astrology

घर-ऑफिस में इस दिशा में बिठाए गणपति - दूर होता है वास्तुदोष

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 15 2019 11:46AM | Updated Date: Jul 15 2019 11:46AM
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रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश से अधिक लोकप्रिय शायद ही कोई देवता होंगे, क्योंकि प्रत्येक कार्य का शुभारम्भ 'श्री गणेशाय नमः' से होता है। गणेश ज्ञान और बुद्धि के देवता हैं, हर प्रसंग में जीवन को शुभ-लाभ की दिशा देते हैं। वे विघ्नहर्ता हैं, मार्ग की सारी अड़चनों को दूर करने वाले हैं। सभी देवताओं में प्रथम पूज्य, वे गणाधिपति ही हैं, जिन्हें किसी दूसरे का आदेश मानने की मजबूरी नहीं। 
 
ज्योतिष में भगवान श्री गणेश को केतु का देवता माना जाता है। गणेशजी का वास्तुदोष निवारण में बड़ा ही महत्व है। आइए जानते हैं कि घर, कार्यस्थल या फिर किसी विशेष प्रयोजन के लिए किस तरह के गणेश जी कहां स्थापित किए जाएं, ताकि वह वे प्रसन्न होकर हमारी सभी मनोकामना पूरी करें - 
 
करवट में लेटे गणेश
गणेश जी इस प्रतिमा में तकिये और एक हाथ का सहारा लेकर लेटे हुए नज़र आते हैं। कलाकृति के रूप में इसे घर के ड्राइंग रूम में रख सकते हैं, लेकिन इसे पूजाघर में नहीं रखें।
 
नृत्य मुद्रा में गणपति
भगवान श्री गणेश की यह प्रतिमा देखने में बहुत मनमोहक लगती है। बड़े उदर और भारी-भरकम शरीर में नृत्य करते हुए भी वे बड़े आकर्षक लगते हैं। यदि कला या अन्य शिक्षा के प्रयोजन से पूजन करना हो तब डांसिंग गणेश की प्रतिमा या तस्वीर का पूजन करना लाभकारी है। 
 
मूषक पर विराजमान गजानन
यह प्रतिमा साहस और शक्ति का प्रतीक है। गणेश जी का यह रूप ऐसा आशीर्वाद देता है कि मूषक जैसा प्राणी भी हर तरह के भार को सहन कर सकता है। कृषक वर्ग के लोगों को, जिनके खेत में चूहे फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, उनके लिए इस मुद्रा के गणेश का पूजन उत्तम है। 
 
बांयी तरफ सूंड़ और बैठे लंबोदर
सिंहासन पर बैठे हुए गणेश की प्रतिमा, जिनकी सूंड़ बांयी ओर मुड़ी होती है, पूजाघर में रखी जानी चाहिए। इनकी पूजा से घर में सुख-शांति व समृद्धि आती है।
 
दांयी ओर सूंड़ वाले एकदंत 
दांयी ओर घूमी हुई सूंड वाले गणेश जी हठी होते हैं। आमतौर पर ऎसी प्रतिमा घर और ऑफिस में नहीं रखी जाती। इनको स्थापित करने पर कई धार्मिक रीतियों का पालन करना ज़रूरी होता है। ऎसी प्रतिमा को देवालयों में स्थापित करके वहीं उनकी पूजा की जाती है।
 
खड़े हुए वक्रतुण्ड
कार्यस्थल पर गणेश जी की मूर्ति विराजित कर रहे हों, तो खड़े हुए गणेश जी की मूर्ति लगाएं जिनके दोनों पैर ज़मीन को स्पर्श करते हों, इससे कार्यस्थल पर स्फूर्ति और काम करने में उमंग हमेशा बनी रहती है। कार्य में स्थिरता आने की संभावना रहती है।
 
श्वेतार्क एवं क्रिस्टल गणपति
रविवार या पुष्य नक्षत्र में आप श्वेतार्क गणेश की मूर्ति घर लेकर आएं और इनकी नियमित पूजा करें, इससे सभी रुके हुए काम बन जाएंगे। इसके अलावा क्रिस्टल से बनी हुई गणेश जी की प्रतिमा की पूजा करने से भी वास्तुदोष दूर होते हैं।
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