मथुरा। मलमास में ठाकुर सेवा के रूप में विख्यात उत्तर प्रदेश के मथुरा में 27 मई को द्वारकाधीश का अनूठा विवाह समारोह आयोजित किया जाएगा। मथुरा में वैसे तो ब्रजवासी श्रीकृष्ण के अवतरण के सवा पांच हजार साल बाद भी सखा भाव या वात्सल्य भाव से समय समय पर विभिन्न आयोजन करते हैं। यहां के मंदिरों में कहीं बालस्वरूप में सेवा होती है तो कहीं भगवतस्वरूप में सेवा होती है। द्वारकाधीश मंदिर में भी यद्यपि सेवा बालस्वरूप में होती है लेकिन जिस प्रकार बच्चे को उत्साहित करने के लिए उसे 'राजा मुन्ना' कहा जाता है उसी प्रकार द्वारकाधीश मंदिर में श्रीविग्रह को द्वारकाधीश कहा जाता है।
मथुरा को तीन लोक से न्यारी इसलिए कहा जाता है कि यहां पर ऐसे ऐसे आयोजन होते हैं जिनकी कल्पना नहीं की जा सकती। राधारमण मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर गोस्वामी वर्ग लाला को दीर्घायु का आशीर्वाद देते हैं तो राधा बल्लभ मंदिर में ठाकुर को कभी मनिहारिन, कभी सब्जी बेचने वाला आदि का स्वरूप भी देते हैं। द्वारकाधीश मंदिर में शयन के बाद ठाकुर के दोनों ओर भोग इसलिए रखा जाता है कि करवट बदलते ही यदि लाला को भूख लगे तो वह पकवान खा सकें। यहां ऐसे भी भक्त हुए हैं जिन्होंने पीसीएस की नौकरी छोड़कर मंदिर में 'सोनी सेवा' करने में अपना गौरव समझा है। ठाकुर के विभिन्न कार्यक्रमों में ठाकुर का विवाह कराना एक अच्छा मनोरथ माना जाता है क्योंकि श्यामसुंदर मां यशोदा से स्वयं कहते हैं कि 'मइया कर दे मेरो व्याह मंगा दे दुलहिन गोरी सी।'
---द्वारकाधीश का विवाह का शाही अंदाज में होगा
दो दिन पहले ही राधा बल्लभ मंदिर में 'ब्याहुला' अर्थात ठाकुर के विवाह का आयोजन किया गया था पर यह आयोजन मंदिर में ही किया गया था। 27 मई को द्वारकाधीश मंदिर का विवाह शाही अंदाज में होगा और यह अनूठा आयोजन गिर्राज सेवा समिति द्वारा किया जा रहा है जिसके ऐतिहासिक होने की संभावना है। इस विवाह के सबंध में गिर्राज सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष मुरारी अग्रवाल ने बताया कि इस विवाह के लिए देश विदेश से फूलों के अलावा बैंगलुरु से जेस्मिन कुंद के खुशबूदार फूल मंगाए गए हैं, जिनसे झूमरों वाला विशाल फूल पंडाल बनाया जाएगा। द्वारकाधीश मंदिर में ही प्रभु के फेरों के लिए विवाह वेदी बनाई जा रही है। मंत्रोच्चारण के बीच रुकमणि का बाकायदा कन्यादान भी होगा तथा पंडित द्वारा विवाह की सारी रश्म शास्त्रोक्त विधि से कराई जाएंगी। उन्होंने बताया कि विवाह के मौके पर पूरे नगर को सजाने के साथ ही विश्राम बाजार से स्वामी घाट तक सड़क पर लाल कालीन विछाई जाएगी। रास्ते में जगह जगह शहनाई वादन होगा और मीठे शर्बत की प्याऊ बाराती घरातियों के लिए लगाई जाएंगी।