संतकबीरनगर। देश में मंदिर-मस्जिद को लेकर बढ़ती तल्खियों ने क्या सियासत और क्या इंसानियत सबको पीछे छोड़ दिया है। वहीं हिंदुस्तान में एक जगह ऐसी भी है जहां इन तल्खियों के लिए कोई जगह नहीं है। बल्कि यहां कानों में मिठास घोलती हुई वो सरगम हर रोजाना सुनाई देती है, जो इंसानियत को अब भी अपने सुरों में समेटे हुए है।
हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश में स्थित कबीर की नगरी संत कबीर नगर की। यहां एक ही परिसर में अजान वातावरण में आस्था की मिठास घोलती है वहीं घंटे घड़ियाल के मधुर संगीत के बीच आरती के सुर भक्ति भाव की गंगा बहाते है।
मगहर में कबीर साहेब की समाधि और मजार एक परिसर में स्थित हैं तो यहां के रानी बाजार मोहल्ले में एक ही परिसर में स्थित मंदिर और मस्जिद में एक साथ ही आरती और अजान होती है। दोनों संप्रदायों के लोग पूरी निष्ठाभाव से अपने धर्म का पालन करते हुए पूजा और इबादत करते हैं।
रानी बाजार मोहल्ला में सैकड़ों साल पहले रानी की सराय थी जो आज भी रानी की सराय के नाम से जानी जाती है। यह सराय राहगीरों के लिए बनाया गया था। इसी सराय में काली मंदिर और मस्जिद स्थित है जिसमें एक तरफ आरती की धुन गूंजती है वहीं दूसरी तरफ अजान की स्वरलहरी। दोनों धर्मों के अनुयायी एक दूसरे की भावना का सम्मान व एहेतराम करते हैं। दोनों की दीवार एक दूसरे से सटी हुई है लेकिन कभी कोई विवाद नहीं होता। यद्यपि कुछ समय पहले कुछ सिफिररों ने रास्ते को लेकर विवाद पैदा करने की कोशिश की थी लेकिन दोनों पक्षों के संभ्रांत लोगों ने मिल-बैठ कर विवाद सुलझा लिया। मस्जिद का रास्ता पश्चिम की ओर और मंदिर का रास्ता उत्तर की ओर निकाल दिया गया।
इसके साथ ही सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल मगहर अपनी विशिष्टता और कबीर साहेब के प्रेम के संदेश को अपनी आत्मा में रचाए-बसाए एकता का उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। जिसके लिए प्रसिद्ध भोजपुरी कवि और पूर्वांचल के नीरज के नाम से जाने जाने वाले गणेश तिवारी ने कहा था "अब तो शीतल विहान होने दो, आदमीयत की शान होने दो, तुम पढ़ो मस्जिदों में रामायण, मंदिरों में अजान होने दो।"