प्रयागवाल। पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित सरस्वती के तट पर स्रान घाटों पर गड़े नम्बरिंग वाले पोल श्रद्धालुओं के लिए सहारा बन रहे हैं। संगम घाटों के आस-पास श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बिजली के पोल पर बड़े-बड़े होर्डिंग पर मोटे-मोटे अक्षरों में नम्बर लिखे गये हैं। स्रान के दौरान अधिकांश स्रानार्थी अपने परिजनों से बिछड़ जाते हैं। ये पोल उन्ही श्रद्धालुओं के लिए सहारा बने हुए हैं।
परिजनों के साथ स्रान करने आए श्रद्धालु संगम तीरे खडे पोल पर नंम्बर देखकर वहीं एक सदस्य के हवाले अपने वस्त्र और सामान रख कर आस्था की डुबकी लगाने जाते हैं और वापसी में उसी नम्बर को देखकर वापस पहुंच जाते हैं। मेला के दौरान संगम में स्रान करने दूर-दराज से आने वाले स्रानार्थी कपड़े, बैग एवं गठरी आदि घाट पर स्वजन के के साथ छोड़ कर डुबकी लगाने चले जाते हैं। भीड़ होने पर लौटते समय अपने निर्धारित स्थान से भटक जाते हैं और परेशान हो जाते हैं। लेकिन विद्युत पोल पर लिखे नम्बर के नीचे अपने वस्त्र परिजन के पास रखकर स्रान कर उसी नम्बर पोल पर पहुंचने से किसी प्रकार बिछुडने का ड़र नहीं रहता।