लखनऊ। बिजली कर्मचारियों की भविष्यनिधि घोटाले को लेकर आंदोलनरत विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने डीएचएफएल द्वारा प्रोविडेन्ट फण्ड की धनराशि के भुगतान की गारण्टी को हास्यास्पद बताते हुए इसकी जिम्मेदारी योगी सरकार से लेने की मांग की है। समिति के पदाधिकारी शैलेन्द्र दुबे और राजीव सिंह ने कहा कि डीएचएफएल एक दागी कम्पनी है जिस पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने रोक लगा रखी है। डीएचएफएल द्वारा कर्मचारियों के पीएफ की गारण्टी का कोई अर्थ नही है और बिजली कर्मचारी किसी बहकावे में आने वाले नही हैं। सरकार बिजली कर्मचारियों के पी एफ के भुगतान की जिम्मेदारी ले यही एकमात्र सही कदम है। उन्होने प्रदेश के ऊर्जा निगमो के कर्मचारियों में बढ़ रहे गुस्से का हवाला देते हुये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रभावी हस्तक्षेप की मांग की है जिससे सरकार पी एफ के भुगतान का गजट नोटिफिकेशन जारी करे।
समिति ने ऐलान किया कि प्रोविडेंट फण्ड घोटाले के विरोध में सभाओ का क्रम जारी रहेगा और 14 नवंबर को लखनऊ में सरकार के ध्यानाकर्षण के लिये विशाल रैली की जाएगी। दुबे ने चेतावनी दी कि यदि पुलिस बल लगाकर विरोध का दमन करने की कोशिश की गई तो बिजली कर्मचारी तत्काल हड़ताल पर चले जायेंगे जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी। उन्होने कहा कि 18 एवं 19 नवंबर को 48 घंटे का कार्य बहिष्कार किया जाएगा। संघर्ष समिति ने कहा कि घोटाले के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार पावर कारपोरेशन के पूर्व चैयरमैन आलोक कुमार ज़िम्मेदार है जिनके कार्यकाल में रुपये 4200 करोड़ का दागी कंपनी डी एच एफ एल को ढाई साल तक भुगतान किया जाता रहा। संघर्ष समिति ने कहा कि आलोक कुमार द्वारा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को लिखा गया पत्र एक प्रकार से सारे घोटाले की स्वीकारोक्ति है। उन्होने मांग की कि घोटाले के आरोपी पूर्व चेयरमैन आलोक कुमार को बर्खास्त कर तत्काल गिरफ्तार किया जाए।