मथुरा। वृन्दावन के सप्त देवालयों में मशहूर प्राचीन राधारमण मंदिर में दिव्य ग्रीष्मकालीन निकुंज सेवा में श्रद्धा, भक्ति एवं संगीत की त्रिवेणी बह रही है। वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर के श्रीविगृह को जहां स्वामी हरिदास ने प्रकट किया था वहीं राधारमण मंदिर के श्रीविगृह हो चैतन्य महाप्रभु के शिष्य गोपाल भट्ट स्वामी ने प्रकट किया था। मंदिर के सेवायत आचार्य सुवर्ण गोस्वामी ने बताया कि इस मंदिर में 22 जून तक चलनेवाली ग्रीष्मकालीन सेवा में एक ओर परंपरागत तरीके से पूजन अर्चन चल रहा है, दूसरी ओर अलग अलग तरीके से ठाकुर की सेवा चल रही है। कोई राग सेवा दे रहा है तो कोई नृत्य सेवा दे रहा है।
इस सेवा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें ठाकुर की विभिन्न लीलाओं को निंकुज लीला के माध्यम से प्रस्तुत किया जा रहा है। ब्रज के मशहूर आध्यात्मिक आचार्य एवं राधारमण मंदिर के सेवायत प्रमुख आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी ने बताया कि कार्यक्रम की शुरूवात निकुंज लीला भांडीरवन से शुरू हुई थी जहां पर सखियों के आग्रह पर ब्रह्माजी ने भांडीरवन निकुंज में ठा0 राधारमण लाल का विवाह कराया था। पहले दिन से प्रारंभ की गई राग सेवा से मंदिर का वातावरण कृष्णभक्ति से भर ऐसा भरा कि यह कार्यक्रम वृन्दावनवासियों के लिए भी महत्वपूर्ण बन गया।