मथुरा। उत्तर प्रदेश में छुट्टा जानवरों की समस्या से किसानों को निजात दिलाने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। समिति के अध्यक्ष एवं दीनदयाल वेटरनरी यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. के एम एल पाठक ने मंगलवार को बताया कि रिपोर्ट में कुछ अस्थायी और कुछ स्थाई सुझाव पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव सुधीर एम बोबड़े को पिछली सात जनवरी को दिए गए थे। सरकार को दी गई रिपोर्ट के सुझाव ना केवल व्यवहारिक हैं बल्कि आत्मनिर्भर और स्थायित्व भी हैं जिससे दूसरे सूबे भी इसका अनुसरण कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि दिए गए सुझाव में प्रत्येक जिले में चारा बैंक बनाने का प्रस्ताव प्रमुख है। उनका कहना था कि इससे जहां प्रदेश में चारे की कमी पूरी हो सकेगी वहीं इसके मूल्य पर नियंत्रण रखना संभव होगा। मशीन द्वारा चारे के कम्प्रेस्ड ब्लॉक बनाकर उनके उसी प्रकार गोदामों में रखने का प्रस्ताव है जिस प्रकार अनाज का भंडारण वेयर हाउसेज में किया जाता है।
---महाराष्ट्र की नीति पर काम करने की संस्तुति
पाठक ने बताया कि गो विज्ञान अनुसंधान केन्द्र देवलापार, नागपुर, महाराष्ट्र में छुट्टा जानवरों के लिए अपनाई गई उस तरकीब को अपनाने की सलाह दी गई है जिसमें उनके पेशाब एवं गोबर का सही उपयोग कर आत्मनिर्भर बनाया गया है जहां गोमूत्र से दवाइयां बनाई जा रही हैं वहीं बैलों के मूत्र से इन्सेक्टीसाइड बनाए जा रहे हैं। गोबर का अधिक उपयोग वर्मी कम्पोस्ट बनाकर आॅर्गेनिक खेती में योगदान दिया जा रहा है। समिति ने छुट्टा जानवरों के मूत्र और गोबर से बनी दवाओं आदि पर सरकार द्वारा छूट देने की भी संस्तुति की है और कहा गया है कि दूध के एकत्र करने के केन्द्रों की तरह इस व्यवस्था को और अधिक जनसहयोग भी मिल सकता है।
समिति के अध्यक्ष ने बताया कि समिति ने निराश्रित गोवंश आश्रय स्थल द्वारा बनाए गए प्रोडक्टस की मार्केंिटग कराने सरकारी सहयोग की जहां संस्तुति की है वहीं यह भी कहा है कि सांसद और विधायक निधि से इन आश्रय स्थलों को कुछ राशि देना आवश्यक कर दिया जाना चाहिए। समिति ने आश्रय स्थलों में रखे जानवरों के चारे में लिए प्रति जानवर प्रतिदिन 100 रूपए के हिसाब से सरकार द्वारा देने की संस्तुति की है साथ ही मनरेगा, वित्त आयोग आदि से भी आश्रय स्थलों को धनराशि देने की संस्तुति की है।