पटना। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी लेनिनवादी ने राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व वाले महागठबंधन के तहत एक सीट से चुनाव लड़ने के प्रस्ताव को ठुकराते हुए आज राज्य की पांच लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल और पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य धीरेंद्र झा ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि उनकी पार्टी वामदलों के साथ गठबंधन कर राज्य की पांच लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदवार उतारेगी। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी बेगूसराय में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और उजियारपुर में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन देगी।
माले नेताओं ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उनकी पार्टी को एक सीट दिए जाने के राजद के प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा कि पार्टी आरा, सीवान, काराकाट, जहानाबाद और पाटलिपुत्र से अपने उम्मीदवार उतारेगी। उन्होंने कहा कि राजद ने महागठबंधन के तहत उनके लिए एक सीट देने का प्रस्ताव दिया है इसलिए उनकी पार्टी भी राजद के लिए माले की पांच सीटों में से एक सीट छोड़ सकती है। कुणाल ने कहा कि भाजपा आज देश के लोकतंत्र, संविधान, जनता के अधिकार और देश की गंगा-जमुनी संस्कृति के खिलाफ बड़ा खतरा है। ऐसे में परिस्थिति की मांग है कि इन खतरों के मद्देनजर इस बार के लोकसभा चुनावों में विपक्ष का एक-एक वोट संगठित हो और भाजपा को कड़ी शिकस्त दी जाये।
लेकिन, कांग्रेस-राजद समेत अन्य दलों के जरिए कल जिस तरह वामपंथ को बाहर रखते हुए भाजपा विरोधी गठबंधन का स्वरूप सामने लाया गया, वह भाजपा विरोधी वोटों के व्यापक ध्रुवीकरण और बिहार की जमीनी हकीकत के अनुकूल नहीं है। माले नेताओं ने कहा कि ऐसा लगता है कि वर्ष 2015 के जनादेश के साथ हुए विश्वासघात और महागठबंधन की विफलता से कोई सबक नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि भाकपा माले और अन्य वामदल बिहार में भाजपा के खिलाफ निरंतर लड़ने वाली मजबूत और उसूली ताकत के रूप में स्थापित है। वामपंथ बिहार की जनता के संघर्षों की आवाज भी है। कुणाल और झा ने कहा कि गठबंधन में वामपंथ की मजबूत उपस्थिति से न सिर्फ गठबंधन की विश्वसनीयता को बल मिलता बल्कि उसे व्यापक मजदूर-किसान, छात्र-नौजवान और लोकतांत्रिक ताकतों को भी समर्थन मिलता। उन्होंने कहा कि महागठबंधन ने जिस तरह सीटों का आपस मे बंटवारा किया है और वामदलों की स्वाभाविक दावेदारी वाली सीटों को नजरअंदाज किया है, वह न्यायसंगत नहीं है।
बिहार विधानसभा के भीतर पार्टियों की दलगत स्थिति और राज्य में पिछले दो वर्षों से चले जनांदोलनों की अभिव्यक्ति भी इस गठबंधन में नहीं दिखती। माले नेताओं ने कहा कि इन तमाम चीजों ने बिहार में भाजपा विरोधी मतों के ध्रुवीकरण की संभावना को कमजोर किया है। इसने बिहार के व्यापक वाम, लोकतांत्रिक और प्रगतिशील समूहों को निराश किया है। भाकपा माले उनकी चिंता और आग्रह के साथ खड़ी है और आगे भी खड़ी रहेगी। उन्होंने कहा कि भाकपा माले ने पहले ही कम सीटों पर लड़ने का फैसला किया था ताकि भाजपा विरोधी मतों में बिखराव न हो। माले ने छह सीटों पर लड़ने का फैसला किया था, जिसमें से बाद में उसने वाल्मीकिनगर सीट भी छोड़ दी ताकि भाजपा को पराजित किया जा सके। उन्होंने कहा कि माले राज्य की शेष सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी दलों को हराने के लिए अभियान चलाएगी।