मुंबई। विलियम शेक्सपियर ने कहा था कि हंसी खुशी और हर्ष उल्लास के साथ उम्र की झुर्रियों को आने दो। खुशी आनंद दीघार्यु देता है ये बात तो खुशियां बाँटने के बादशाह शो 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' ने प्रामाणित कर दी है। ये शो हंसने हंसने का एक दशक पूरा कर चुका है।
आमोद प्रमोद के बीच सामाजिक जागरूकता मनोरंजक तरीके से करतेकराते सिटकॉम में नंबर एक पोजीशन पर बैठे 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' ने सभी चैनल्स के अलग अलग शो में भी श्रेष्ठ 10 शो में अपना स्थान लगातार बरकरार रखा है। अब 28 जुलाई 2018 को ये शो अपने प्रसारण के ग्यारहवें वर्ष में कदम रखेगा।
हर साल 28 जुलाई आता है और हमें बहुत खुशी महसूस होती है कि एक और सफल वर्ष हँसते खेलते निकल गया ऐसा तो लगता ही नहीं है कि हम अपने ग्याहरवें साल में जा रहे हैं। लगता है जैसे कि कल ही तो हमने शुरूआत करी थी। 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' पर जैसे भगवान का आशीर्वाद है।
हांलाकि हर कहानी में कई बार तनावपूर्ण सिचुएशन आती है पर हर बार भगवान की कृपा से हम उसे सुलझा कर आगे बढ़ जाते है। मेरे सारे कलाकार और मेरी सारी टीम ने हमेशा मेरा पूरा सहयोग किया है। हमारे दर्शक हम पर लगातार अपने प्यार का हाथ बनाये रखते हैं। हाँ कभी कभी आलोचना भी होती है पर हम उसे भी सकारात्मक रूप में ही लेते हैं।
हमे सास बहू शो और ड्रामा से मुकाबला करना पड़ा पर हमारी साफसुथरी सकारात्मक कहानियां और हंसी मजाक का हल्का फुल्का माहौल पारिवारिक मनोरंजन का सबसे बड़ा सोत्र है। दु:ख बस इस बात का है कि आगे की यात्रा में हमारे एक साथी कवि कुमार आजाद जी हमारे साथ नहीं होंगे, शो के क्रिएटर असित कुमार मोदी ने कहा तारक मेहता का उल्टा चश्मा की टीम इस बात में विश्वास रखती है कि मनोरंजन व हंसने हंसाने के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन भी लाया जा सकता है और देश सेवा का ये सबसे अच्छा तरीका भी है।
चाहे वो हमेशा उत्साहित भिड़े व माधवी हों या हमेशा सबकी सहायता करने वाले पोपटलाल, नट्टू काका और अब्दुल हों, या प्रेम में पड़ी बाघा -बावरी व अइय्यर- बबिता की जोड़ी ... सभी बिना किसी ब्रेक या जनरेशन लीप के सबका बिना रुके मनोरंजन कर रहे हैं। फिर हमारी जेठालाल और दया की जोड़ी है जो अपने पिता बापू जी और बेटे टापू के साथ एक आदर्श परिवार का उदाहरण रखते हैं।