नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून में संशोधन संबंधी अध्यादेश को बुधवार को मंजूरी दे दी जिसमें छोटे तथा मध्यम उद्योगों के साथ मकान खरीदने वाले ग्राहकों को भी राहत दी गई है। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने बताया कि अध्यादेश से अपना मकान खरीदने वालों को बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि आशियाने के लिए अग्रिम भुगतान करने वाले ग्राहकों को अब ऋणदाता का दर्जा मिल जाएगा। इससे कंपनी के डूबने की स्थिति में ऋणदाताओं की समिति में उन्हें जगह मिल सकेगी और वे निर्णय प्रक्रिया का हिस्सा बन सकेंगे। साथ ही वे कंपनी के खिलाफ दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून, 2016 की धारा सात के तहत कानूनी प्रक्रिया शुरू करने के भी अधिकारी बन जाएंगे।
अध्यादेश से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को भी लाभ होगा। अर्थव्यवस्था में उनकी भूमिका को देखते हुये उन्हें कानून में विशेष छूट दी गयी है। इन कंपनियों के प्रवर्तक अब दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत अपनी ही कंपनियों के लिए बोली लगा सकेंगे, बशर्ते वे जानबूझकर ऋण न चुकाने वालों या डिफॉल्ट से संबद्ध अन्य मानकों पर अयोग्य न हों। बड़ी कंपनियों के प्रवर्तकों को यह छूट नहीं है। साथ ही अध्यादेश सरकार को यह भी अधिकार देता है कि वह एमएसएमई के लिए अन्य नियमों में भी बदलाव कर सके या छूट दे सके। अध्यादेश में यह भी व्यवस्था है कि एक बार दिवाला प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोई कंपनी इसे बंद करना चाहती है तो इसके लिए ऋणदाताओं की समिति के कम से कम 90 प्रतिशत मत से सहमति की जरूरत होगी। साथ ही बोली प्रक्रिया के तहत अभिरुचि पत्र का नोटिस जारी होने के बाद प्रक्रिया बंद करने की अनुमति बिल्कुल नहीं होगी।
कंपनी की नीलामी की बजाय समाधान को प्रोत्साहित करने के लिए सभी बड़े समिति में सभी बड़े फैसले के लिए जरूरी मत प्रतिशत 75 से घटाकर 66 कर दी गई है। किसी गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) का अधिग्रहण करने के बाद दिवाला प्रक्रिया के तहत तीन साल तक इस एनपीए को अधिग्रहण करने वाली कंपनी का एनपीए नहीं माना जायेगा। साथ ही दिवाला कंपनी को खरीदने वाले को इस संबंध में कानूनी प्रक्रियाएँ पूरी करने के लिए एक साल का समय देने का भी प्रावधान किया गया है।