औरंगाबाद। देश में कभी दलेलचक बघौरा, मियांपुर और छेछानी जैसे नरसंहारों के लिए चर्चा में रहे बिहार में उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित औरंगाबाद जिले में विकास कार्यों की रफ्तार तेज होने से हाल के वर्षों में जहां नक्सली गतिविधियां धीमी पड़ी हैं वहीं उग्रवादी वारदातों में भी काफी कमी आई है। औरंगाबाद के पुलिस अधीक्षक डॉ. सत्य प्रकाश ने यहां बताया कि केन्द्रीय अर्द्ध सैनिक बलों की तैनाती और जिला पुलिस को विशेष रूप से प्रशिक्षित किये जाने के साथ ही उन्हें अत्याधुनिक हथियार मुहैया कराने, सामुदायिक पुलिंसिग के सफल कार्यान्वयन एवं सुदूरवर्ती इलाकों में आवागमन के लिये सड़क की सुविध उपलब्ध हो जाने के कारण नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगाने में काफी हद तक सफलता मिली है।
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि सुदूरवर्ती नक्सली इलाकों में रह रहे लोगों का जहां पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है वहीं उग्रवादियों की जन एवं विकास विरोधी कार्यों के प्रति उनमें अक्रोश भी है। जिले के सुदूरवर्ती नक्सल प्रभावित इलाके में केन्द्रीय बलों की तैनाती से जिला पुलिस को नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगाने में काफी हद तक मदद मिली है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बल की मदद से जिले में उग्रवादियों के खिलाफ न केवल लागातार अभियान चलाये जा रहे हैं बल्कि सामुदायिक पुलिंसिग के माध्यम से इन इलाको के लोगों के लिए कई सहायता कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं।