नई दिल्ली। नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी संचालित चिल्ड्रेंस फाउंडेशन (केएससीएफ) और दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने बाल मित्र दिल्ली बनाने के ध्येय के साथ गुरुवार को ‘ मुक्ति कारवां अभियान’ शुरू किया। यह अभी छह महीने तक चलेगा और आज दिल्ली सचिवालय से दिल्ली सरकार के सामाजिक कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने हरी झंडी दिखाकर इसका श्रीगणेश किया गया। दोनों संगठनों ने बच्चों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए यह अभियान चलाने का निर्णय किया है। गौतम ने इस मौके पर कहा,‘‘ इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि राजधानी में बाल श्रम एक गंभीर समस्या का रुप ले चुका है। मुझे विश्वास है कि मुक्ति कारवां डीसीपीसीआर को सहयोग करते हुए बाल श्रम से प्रभावित क्षेत्रों की पहचान करेगा तथा दिलली को ‘बाल मित्र दिल्ली’ बनाने में मदद करेगा।’’
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के 2017 के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में बाल ट्रैफिकिंग से पीड़ति कुल 490 लोगों का मामला दर्ज हुआ था, जिसमें 89 प्रतिशत बच्चे थे। गौरतलब है कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश की राजधानी में 36 हजार बच्चे बाल मजदूरी के शिंकजे में थे। मुक्ति कारवां का पहला चरण राजधानी के उत्तर पश्चिमी जिलों में चलेगा और छह माह के भीतर अन्य ट्रैफिकिंग पीड़ति क्षेत्रों में इसे चलाया जायेगा। दिल्ली का उत्तरी पश्चिमी जिला अवैध वाणिज्यिक इकाइयों और ढ़ाबों पर कार्यरत बाल श्रमिकों का गढ़ है और इनमें घरेलू नौकर के रुप में काम करने वाले बच्चों की भी बड़ी संख्या है।
इसके अलावा इस जिले में बड़ी संख्या में असंगठित प्लेसमेंट एजेंसिया भी हैं, जिनकी पहचान भी इस अभियान के दौरान की जायेगी। डीसीपीसीआर के अध्यक्ष रमेश नेगी ने कहा,‘‘ छह महीने तक चलने वाला यह एक लंबा अभियान है। पायलट योजना के तहत एक महीने के लिए दिलली के उत्तर पश्चिमी जिलों में चलेगा और शेष पांच माह के दौरान राजधानी के अन्य हिस्सों में इसे चलाया जायेगा।’’ इस अभियान का नेतृत्व बाल दासता से मुक्त कराए गए बच्चे करते हैं। अभियान के माध्यम से बाल श्रम और ट्रैफिकिंग के खिलाफ लोगों को जागरुक करने का प्रयास किया जायेगा।