नई दिल्ली। उप राष्ट्रपति एम. वैकेंया नायडू ने देश को ज्ञान एवं नवाचार का एक अग्रणी केन्द्र बनाने के लिए शिक्षण से लेकर अनुसंधान तक समूची शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव लाने का आव्हान किया है। नायडू ने सोमवार को यहां जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के तीसरे वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत को एक बार फिर शिक्षण के वैश्विक केन्द्र के रूप में सामने लाने का प्रयास किया जाना चाहिए। दीक्षांत समरोह में राष्ट्रपति ने 430 छात्रों को डॉ ऑफ फिलॉसफी की डिग्री प्रदान की। इस अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्री पोखरियाल निशंक और जेएनयू के चांसलर तथा नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के सारस्वत और कुलपति एम जगदेश कुमार मौजूद थे।
उन्होंने विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों से शिक्षा की अपनी विधियों में पूरी तरह से बदलाव लाने का आग्रह करते हुए कहा कि जेएनयू के साथ-साथ देश के अन्य विश्वविद्यालयों को भी स्वयं को शीर्ष रैंकिंग वाले वैश्विक संस्थानों में शामिल करने के लिए अथक प्रयास करने चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सभ्यता ने सदैव शिक्षा के समग्र एकीकृत दृष्टिकोण पर विशेष जोर दिया है। उन्होंने जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों से देश की ताकत एवं कौशल स्तर को बढ़ाने का आव्हान करते हुए कहा कि सर्वांगीण उत्कृष्टता और वैश्विक एजेंडे की अगुवाई करने की क्षमता लक्ष्य होना चाहिए।
देश की युवा आबादी का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि देश की आबादी में दो तिहाई युवा ही हैं, इसलिए गुणवत्तापूर्ण कौशल विकास और उच्च शिक्षण सुविधाओं तक उनकी पहुंच निश्चित तौर पर होनी चाहिए। निशंक ने छात्रों की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने प्रयासों से इस संस्थान को ऊंचे स्तर तक पहुंचाया है। उन्होंने यह भी कहा कि जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय देश के युवकों की शैक्षणिक आकांक्षाओं के प्रतीक है और हमें इस बात का गर्व है कि विश्वविद्यालय ने न केवल अपना लक्ष्य हासिल किया है बल्कि देश के बौद्धिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि जेएनयू कारगर और लाभदायक पाठ्यक्रमों के संचालन तथा विकास में अहम भूमिका निभाएगा एवं आधुनिक तकनीक और नयी नीतियों का इस्तेमाल करगा।