मुंबई। भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय के साथ संयुक्त रूप से भारतीय रसायन और पेट्रोकेमिकल्स विनिर्माण हब 2019 सम्मेलन में पीसीपीआईआर पुनरुद्धार अध्ययन का आज शुभारंभ किया। इस दौरान फिक्की और उनके सहयोगी मोट्ट मैक्डोनाल्ड ने पीसीपीआईआर पुनरुद्धार अध्ययन में अभी तक किये गए विकास कार्यों का उल्लेख किया और पीसीपीआर में निवेश को फिर आकर्षित करने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप के लिए वर्तमान परिदृश्य और सरकार के रोडमैप के बारे में बताया।
उल्लेखनीय है कि भारत विश्व में रसायनों का छठा सबसे बड़ा उत्पादक है और वैश्विक रासायनिक उद्योग में 3.4 प्रतिशत का योगदान देता है। पिछले एक दशक में भारत में रसायन मार्केट में तीन प्रतिशत की वृद्धि हुयी है। इस उद्योग में 13.38 फीसदी विनिर्माण जीवीए और 2.39 प्रतिशत राष्ट्रीय जीवीए शामिल हैं जो लगभग 20 लाख लोगों को रोजगार देता है।
केन्द्र सरकार ने दरअसल वर्ष 2007 में पेट्रोलियम, रसायन और पेट्रोकेमिकल्स क्षेत्र स्थापित करने के लिए एक नीति लागू की थी। वर्तमान में दहेज, विशाखापत्तनम, पारादीप और कुड्डालोर ही स्थापित क्षेत्र है। विजाग, पारादीप और कुड्डालोर में निवेश आकर्षित करना दहेज क्षेत्र की तुलना में चुनौतीपूर्ण है। पीसीपीआईआर क्षेत्र में निवेश को फिर से तेज करने के लिए सरकार ने नीतिगत हस्तक्षेप की योजना बनाई है। इस मामले पर रसायन और उर्वरक मंत्री डी वी सदानंद ने कहा कि भारतीय रासायनिक और पेट्रो रसायन उद्योग वर्तमान में तेजी से विस्तार को देख रहा है। इस उद्योग की क्षमता को विस्तार करने की आवश्यकता है जो देश में क्रांति लाने की शक्ति रखता है।