कोच्चि। केरल उच्च न्यायालय ने भारी बारिश के मद्देनजर शहर में जलभराव के मामले में बुधवार को कोच्चि निगम की कड़ी आलोचना की और पूछा कि निगम ने जल निकासी के लिए क्या कार्रवाई की। अदालत ने मुख्यमंत्री की समय रहते इस मामले में हस्तक्षेप करने की भी सराहना की। न्यायमूर्ति देवन रामचन्द्रन ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद कलेक्टर को जलभराव की निकासी के लिए हस्तक्षेप करने को कहा और अदालत ने जोर देते हुए कहा कि अगर मुख्यमंत्री हस्तक्षेप नहीं करते तो स्थिति भयावह हो सकती थी। अदालत ने कोच्चि के मेयर सौमिनी जैन के उस दावे को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने ज्वार की लहरों को जलभराव को कारण बताया।
अदालत ने पूछा कि क्या जल निकासी के बाद निगम ने पानी के घटे स्तर को देखा। न्यायालय ने जलभराव कार्यों के समन्वय के लिए कलेक्टर से एक टास्क फोर्स बनाने की संभावनाओं के बारे में भी पूछा। उच्च न्यायालय ने इससे पहले महाधिवक्ता को कोच्चि में जलभराव से बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं, इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे। महाधिवक्ता द्वारा रिपोर्ट सौंपने के आधार पर यह निगम को भारी पड़ा। महाधिवक्ता ने सरकार की ओर से न्यायालय को आश्वासन दिया कि जलभराव के मुद्दे का तुरंत समाधान किया जाएगा।