नई दिल्ली। औद्योगिक एवं लॉजिस्टिक सेवायें प्रदान करने वाले अधिकांश लोगों का मानना है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के लागू होने के बाद कर व्यवस्था में सुधार हुये हैं और अब वे अंतरराष्ट्रीय सेवा प्रदाताओं के साथ साझेदारी या संयुक्त उपक्रम को प्राथमिकता दे रहे हैं। रियलटी क्षेत्र को सलाह सेवायें प्रदान करने वाली कंपनी सीबीआरई दक्षिण एशिया ने इस संबंध में किये गये सर्वेक्षण की रिपोर्ट मंगलवार को यहां जारी की जिसमें कहा गया है कि इसमें शामिल 80 फीसदी लोगों का मनाना है कि जीएसटी लागू होने के बाद कर व्यवस्था में सुधार हुये हैं। इसमें शामिल लोगों में से 40 प्रतिशत जीएसटी के बाद अपने वेयर हाउसों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं।
70 फीसदी लोगों ने आपूर्ति श्रृखंला या वेयर हाउस कारोबार को लेकर आशावादी रूख जताया है। इसमें शामिल 60 फीसदी लोगों ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद वे अंतरराष्ट्रीय साझेदार या संयुक्त उपक्रम बनाने को प्राथमिकता दे रहे जिससे वर्ष 2017 से लेकर 2019 की पहली छमाही तक औद्योगिक एवं लॉजिस्टिक क्षेत्र में 50 करोड़ डॉलर से अधिक का निवेश हुआ है और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल तथा नवीनतम उद्यम नीतियों से इस क्षेत्र में वृद्धि की बल मिल रहा है। कंपनी के भारत, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंशुमान मैगज़ीन ने इस रिपोर्ट को जारी करने के बाद कहा कि भारत में लॉजिस्टिक उद्यम तेजी से वृद्धि की ओर बढ़ रहा है।
परिचालन में प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल, अभिनव बिज़नेस मॉडल और नीतियां, आपूर्ति श्रृंखला क्षमताओं में सुधार, वेअरहाउंिसग के लिए मांग में बढ़ोतरी, विभिन्न वित्तीय योजना विकल्प, अनुकूल सरकारी नीति, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में प्रसार से इस क्षेत्र के विकास में अहम भूमिका निभा रहे हैं। सिर्फ दो सालों में औद्योगिक एवं लॉजिस्टिक में हुए बदलाव और अच्छी जगहों की बढ़ती हुई मांग के कारण डेवलपरों की प्राथमिकता सभी सुविधाओं से लैस और बड़ी जगहों के निर्माण की होगी। उनका अनुमान है कि प्रमुख कम्पनियों के इस क्षेत्र में आने के लिए उत्सुक होने की वजह से देश की वेअरहाउंिसग सुविधाओं में 2030 तक 50 करोड़ वर्ग फीट तक की बढ़ोतरी हो सकती है।