श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए हटाये जाने के 50 दिन पूरे हो चुके हैं लेकिन हालात अभी पूरी तरह से सामान्य नहीं हो सके हैं। राज्य में लगे प्रतिबंधों से सबसे ज्यादा शिक्षण संस्थान प्रभावित हुए हैं। सरकार ने हालांकि काफी दिन पहले ही स्कूलों के खोलने की घोषणा कर दी थी जिसके बावजूद छात्र अभी भी स्कूलों से नदारद हैं।
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्य पाल मलिक के सलाहकार फारुक अहमद खान ने कहा है कि बोर्ड ऑफ स्कूल एजूकेशन (बीओएसई) की परीक्षाएं हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी निर्धारित समय पर होंगी। खान ने कहा कि नौवीं, दसवीं तथा बारहवीं क्लास की परीक्षाएं निर्धारित समय पर होंगी और छात्रों को बिना परीक्षा दिए अगली कक्षा में नहीं भेजा जायेगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में सरकारी स्कूलों में शिक्षण और अन्य स्टाफ रोजाना समयानुसार अपनी ड्यूटी पर आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमने स्कूल खोल दिए हैं और अब यह अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजें। इसके अलावा राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर और ऐतिहासिक लाल चौक के इलाकों में सोमवार सुबह कुछ दुकानें और प्रतिष्ठान खुले लेकिन वे केवल सुबह सात से नौ बजे तक के लिए ही खुल रहे हैं। श्रीनगर के मुख्य इलाकों में कोई भी अप्रिय घटना नहीं घटी है और कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की चप्पे-चप्पे पर तैनाती की गयी है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि किसी भी क्षेत्र में कर्फ्यू नहीं लगाया गया है और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन ने कई क्षेत्रों में चार से अधिक लोगों के एकत्र होने से रोकने के लिए धारा 144 लगा रखी है। कश्मीर में किसी भी तरह के प्रदर्शन को रोकने के लिए लगभग सभी क्षेत्रों में स्वचालित हथियारों और डंडों के साथ सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी है। अफवाहों को रोकने के लिए पांच अगस्त के बाद से ही घाटी में इंटरनेट और फोन सेवाएं बंद रखी गयी हैं।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने हालांकि कई स्थानों पर एसटीडी बूथ लगाए हैं जिसके कारण लोग अपने परिजनों से बातचीत कर पा रहे हैं। पिछले 50 दिनों से शहर-ए-खास की ऐतिहासिक जामिया मस्जिद के सभी दरवाजे पांच अगस्त से ही बंद रखे गए हैं। जामिया बाजार और जामिया मस्जिद के पास वाले इलाकों में किसी भी तरह के प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी है। पांच अगस्त के बाद से लगे प्रतिबंधों के चलते जामिया मस्जिद में नमाज़ भी अदा नहीं की गयी है।
कश्मीर में प्रतिबंध के 50 दिन बाद भी अधिकांश दुकानें तथा व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे और शहर एवं बाहरी इलाकों में सार्वजनिक परिवहन भी बेहद कम रहा। कईं जगहों पर हालांकि दो पहिया वाहन सामान्य रूप से चलते हुए दिखाई दिए। श्रीनगर के नये इलाके समेत सिविल लाइंस में भी अधिकांश दुकानें सुबह छह बजे से नौ बजे खुलीं लेकिन वे बाद में बंद कर दी गयीं।
राज्य के कई जिलों और तहसील मुख्यालय समेत अनंतनाग, कुलगाम, पुलवामा, शोपियां और कुपवाड़ा, बांदीपोरा, पाटन, सोपोर, हंदवारा तथा अजस क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियां ठप हैं। इसी तरह की रिपोर्टें मध्य कश्मीर के गंदेरबल और बडगाम जिले से भी मिली हैं।