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मध्यप्रदेश विस बिजली अनुदान मांगें ऊर्जा विभाग की अनुदान मांगें पारित

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 21 2019 1:38AM | Updated Date: Jul 21 2019 1:38AM
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भोपाल। मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने आज देर शाम विधानसभा में विभागीय बजट की अनुदान माँगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि वर्ष 2017-18 में पारेषण और वितरण हानियाँ 32 प्रतिशत है और इसे मौजूदा 15वें वित्त आयोग ने भी ठीक नहीं माना। उन्होंने बताया कि बिजली कम्पनियाँ 44 हजार करोड़ के घाटे में है। पिछले 5 साल में यह घाटा 24 हजार करोड़ से बढ़कर हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश भविष्­य में विद्युत के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना रहे इसके लिये सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारणी और अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई में 660-660 मेगावॉट की एक-एक इकाई की स्थापना की जायेगी।
 
उन्होंने बताया कि इंदिरा गृह ज्योति योजना में वचन-पत्र के मुताबिक 100 यूनिट तक की मासिक खपत पर अधिकतम 100 रूपये का बिल दिया जा रहा है। इंदिरा किसान ज्योति योजना में 1400 रूपये हार्सपावर के स्थान पर 700 रूपये प्रति हार्स पावर प्रति वर्ष फ्लेट रेट से बिजली दी जा रही है। इससे लगभग 18 लाख कृषि उपभोक्ता लाभांवित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य संबल योजना के अपात्र हितग्राहियों को हटाया जायेगा। विद्युत उपभोक्ताओं के गलत देयकों से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिये विद्युत वितरण केन्द्रवार समिति गठित की गई है। इनकी बैठक प्रति मंगलवार हो रही है।
 
विद्युत संबंधी शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिये 1912 कॉल सेन्टर को मजबूत किया गया है। भोपाल और इंदौर में 100-100 और जबलपुर में इस सेंटर की 200 लाइन है। सिंह ने बताया कि 7 नये अति उच्चदाब केन्द्रों की स्थापना के साथ ही 22 अतिरिक्त अति उच्चदाब ट्रांसफार्मरों की स्थापना और क्षमता वृद्धि की गई। इसके साथ ही 1134 सर्किट किमी लाइन का निर्माण कार्य पूरा किया गया।
 
अस्पतालों में विद्युत आपूर्ति लगातार सुनिश्चित करने के लिये डबल लाइन डाली जा रही है। उच्चदाब उपभोक्ताओं की समस्याओं के लिये नोडल ऑफिसर नियुक्त किये गये हैं। मुख्यमंत्री सोलर स्थायी कृषि पम्प योजना भी चालू की जायेगी। वर्ष 2018-19 में किसानों को सब्सिडी 9431 करोड़ दी गई थी। इस वर्ष 14 हजार करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विभाग की 9114 करोड़ 89 लाख 94 हजार रूपये की अनुदान माँगों को ध्वनिमत से पारित कर दिया।
 
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