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शिक्षा नीति के प्रारुप पर सुझाव देने की अवधि छह माह बढ़ाने की मांग

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 17 2019 12:40PM | Updated Date: Jul 17 2019 12:40PM
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नई दिल्ली। राज्यसभा में नयी शिक्षा नीति के प्रारुप पर सुझाव देने की अवधि कम से कम छह माह बढ़ाने की मांग करते हुए आज कहा गया कि इसे आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में प्रकाशित किया जाना चाहिए। सदन में शून्यकाल के दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा ने यह मामला उठाते हुए कहा कि नयी शिक्षा नीति का प्रारुप जारी हो चुका है। यह देश के भविष्य से जुड़ा मामला है। इस पर सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपना सुझाव देना चाहेंगे।
 
इसके अलावा शिक्षण संस्थान, सामाजिक संगठन और विशेषज्ञ तथा आम जनता भी इसमें अपना योगदान देगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति पर सुझाव देने की अवधि बहुत कम है इसे कम से कम छह माह बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति के प्रारुप को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में प्रकाशित किया जाना चाहिए जिससे समाज का प्रत्येक तबका इसे समझ सके। शिक्षा नीति का प्रारुप हिन्दी और अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया है।
 
द्रविड मुनेत्र कषगम के तिरुचि शिवा ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि शिक्षा नीति का प्रारुप देश की सामाजिक - आर्थिक परिस्थितियों के अनुरुप नहीं है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय से सुझाव आॅनलाइन मांगें लेकिन इन्हें अन्य माध्यमों से भी स्वीकार किया जाना चाहिए।
 
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