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नई पेंशन योजना के दायरे में बिहार के 151466 कर्मचारी : सुशील

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 17 2019 12:55AM | Updated Date: Jul 17 2019 12:55AM
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पटना। बिहार के उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी ने बताया कि 01 सितंबर 2005 से लागू नयी पेंशन स्कीम के तहत राज्य के 151466 कर्मचारी आच्छादित हैं। मोदी ने आज भोजनावकाश के बाद विधानसभा में बताया कि 01 सिंतबर 2005 के प्रभाव से लागू नई पेंशन योजना में कर्मचारी को वेतन का 10 प्रतिशत और उतना ही सरकार का अंशदान है। केन्द्र सरकार ने इसमें अपना अंशदान 14 प्रतिशत कर दिया है। बिहार सरकार भी इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि 01 अप्रैल 2019 तक बिहार में 151466 कर्मचारी नई पेंशन योजना से आच्छादित है, जिन्हें अन्य सारे लाभ भी दिये जा रहे हैं। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि पेंशन विवाद के तहत बिहार सरकार को झारखंड ने 2017-18 में 1804 करोड़ रुपये की देनदारी में से 1493 करोड़ रुपये दिया है जबकि 310 करोड़ बाकी है।

बिहार का तर्क है कि पेंशन मद की देनदारी कर्मचारियों की संख्या के आधार पर तय हो जबकि झारखंड जनसंख्या के आधार पर चाहता है। केन्द्रीय गृह सचिव ने कर्मचारियों की संख्या के आधार पर पेंशन की देनदारी तय की लेकिन झारखंड सरकार इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय चली गयी। यदि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला अगर बिहार के पक्ष में आता है तो झारखंड को 4930 करोड़ रुपये देना होगा। मोदी ने बताया कि बिहार में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत नए निबंधित करदाताओं की संख्या में 2.44 लाख की बढ़ोतरी हुई है। मूल्य वर्द्धित कर (वैट) के तहत मात्र 1.63 लाख करदाता निबंधित थे वहीं अब जीएसटी में उनकी संख्या 4 लाख आठ हजार हो गयी है।

उन्होंने बताया कि जीएसटी में छोटे कारोबारियों को राहत देने के लिए 40 लाख रुपये तक के टर्नओवर वालों को निबंधन की आवश्यकता नहीं होगी। उप मुख्यमंत्री ने बताया कि भारत पहला देश है जहां जीएसटी लागू होने के बाद अधिकांश चीजों पर कर की दर कम हुई वहीं महंगाई भी घटी है। राज्य एवं केन्द्र सरकार के 17 कर मिलकर एक हो गए। देश की सारी जांच चौकी समाप्त कर दी गई, जिसके कारण मालों की आवाजाही निर्बाध हो रही है। इस व्यवस्था में निबंधन, विवरणी दाखिल करना, कर जमा करना सब कुछ ऑनलाइन है।

उन्होंने बताया कि 2017-18 की तुलना में वित्त वर्ष 2018-19 में 26.17 फीसदी की वृद्धि के साथ राज्य में 25583 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह हुआ जबकि वित्त वर्ष 2015-16 यह आंकड़ा 17379.06 करोड़ रुपये रहा था। चालू वित्त वर्ष में 29000 करोड़ रुपये राजस्व संग्रह के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लिया जाएगा। मोदी ने बताया कि उपभोक्ता राज्य होने के कारण बिहार में पिछले एक साल में 9098 करोड़ रुपये की दवा, 8672करोड़ रुपये के कपड़े, 5849 करोड़ रुपये के सीमेंट, 3368 करोड़ रुपये का लोहा, 5524 करोड़ रुपये के मोबाइल एवं फोन सेट, 4859 करोड़ रुपये की मोटरसाइकिल, 4180 करोड़ रुपये की मोटरकार और 3161 करोड़ रुपये के ट्रैक्टर अन्य राज्यों से बिकने के लिए आए।

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