प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आगरा के हिन्दुस्तान कॉलेज ऑफ सांइस एंड टेक्नोलॉजी का मान्यता प्रार्थना पत्र निरस्त करने के एआईसीटीई के आदेश पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति आरएसआर मौर्य एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने कॉलेज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी को सुनकर बुधवार को यह आदेश दिया। मामले के तथ्यों के अनुसार एआईसीटीई ने हिन्दुस्तान कॉलेज ऑफ सांइस एंड टेक्नोलॉजी की ओर से प्रस्तुत मान्यता प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया। एआईसीटीई का कहना था कि संस्थान के पास निर्धारित संख्या में कम्प्यूर लैब. फैकेल्टी और आधारभूत सुविधाओं का अभाव है।
ऐसे में वह इंजीनियंरिग कॉलेज चलाने का मानक पूरा नहीं करता है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि कॉलेज में लगभग 300 शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारी कार्यरत हैं और 1737 छात्र अध्ययनरत हैं। मान्यता वापस लेने से इन छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा। एआईसीटीई के अधिवक्ता ने पार्श्वनाथ चैरिटेबल ट्रस्ट के मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि न्यायालय ने 30 अप्रैल के बाद मान्यता देने पर रोक लगाई है। मान्यता किसी वर्ष में 30 अप्रैल तक ही प्रदान की जा सकती है। खंडपीठ ने इस तर्क को नहीं माना कि 30 अप्रैल के बाद किसी संस्थान को मान्यता नहीं दी सकती। खंडपीठ ने कहा कि एआईसीटीई संस्थान को 1996 से मान्यता देता आ रहा है। उच्चतम न्यायालय का आदेश मान्यता देने के लिए एक समयसीमा तय करने के लिए है, लेकिन इसमें उच्च न्यायालय पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है कि मान्यता देने में अनियमितता को सुधारने का वह आदेश नहीं दे सकता।