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पानियों के मुद्दे पर सभी दल एकजुट तथा एकमत होकर लड़ें पंजाब की लड़ाई :चीमा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 23 2020 7:50PM | Updated Date: Jan 23 2020 7:50PM
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चंडीगढ़। पंजाब आम आदमी पार्टी (आप) ने अंतरराज्यीय नदी जल,तेजी से गिरते भूजल और पानी के प्रदूषण के मुद्दे पर सभी दलों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर तथा मिलकर लड़ाई लड़नी चाहिये । पानी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री की ओर से बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक के बाद प्रतिपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने पत्रकारों से कहा कि केन्द्र में अब तक काबिज रहीं सरकारों ने पंजाब के राजनेताओं के निहित स्वार्थों ,कमजोरियों और नासमझी के कारण पानी की लूट की ।
 
पंजाब के बचे खुचे प्राकृतिक जलस्रोतों की संभाल के लिये अब मिलकर प्रयास करने होंगे अन्यथा भावी पीढ़ियां हमें बख्शेंगी नहीं । आप पार्टी के नेताओं ने पानी की लूट और प्रदूषित करने के लिए पंजाब के जिम्मेदार राजनीतिक दलों और नेताओं को सभी पंजाबियों से माफी मांगने की मांग की तथा पानी के जलस्रोतों को प्रदूषित तथा जहरीला करने के लिए पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को न केवल भ्रष्टाचार का अड्डा करार दिया, बल्कि सरकारी खजाने के लिए सफेद हाथी बताया। बैठक में हिंचीमा के अलावा विधायक अमन अरोड़ा और विधायक कुलतार सिंह संधवां ने भाग लिया।
 
हिंचीमा ने कहा कि समय हाथ से निकल रहा है ,ऐसे में सभी को पार्टीबाजी से ऊपर उठ कर एकजुट होकर पंजाब के हितों की रक्षा करने के लिये आगे आना होगा । यदि हम पंजाब के जल जैसे मुद्दे पर बिखरे रहे तो पंजाब का पानी खत्म हो जायेगा और राज्य को मरूस्थल बनने से कोई नहीं रोक सकता । उन्होंने कहा कि धरती का 73 प्रतिश्त पानी निकाला जा रहा है जिससे भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है । इसके अलावा उन्होंने फैक्टरियों और शहरों के दूषित पानी को दरियाओं और नदियों में फेंका जा रहा है । उन्होंने धूरी के.आर.बी.एल. फैक्टरी का उल्लेख किया।
 
हिंअरोड़ा ने कहा कि हरित क्रांति के बाद पंजाब ने अपने पानी और मिट्टी की कीमत पर पूरे देश का पेट भरा लेकिन  आज पानी, मिट्टी और खेती संकट के साथ जूझ रहे पंजाब की कोई सुध लेने वाला नहीं है । केंद्र सरकार भी फसलों के कम से कम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी हाथ खींचने लगी है, इसलिए पंजाब सरकार को कृषि विविधता के लिए ठोस कदम उठाने चाहिये जिससे न केवल किसानों की आमदन बढ़ेगी, बल्कि पानी, मिट्टी के साथ-साथ बिजली की भी बचत होगी। हिंसंधवां ने हर छह महीने के बाद सर्वदलीय बैठक बुलाये जाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि बिजली समेत कई मुद्दों पर तुरंत सर्व पार्टी बैठक बुलानी चाहिए। पंजाब के जल संकट के बारे में जितनी केंद्र की सरकारें जिम्मेवार रही हैं, उतने पंजाब के तत्कालीन नेता भी रहे हैं। 
 
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