लखनऊ। केन्द्र सरकार पर विद्युत अधिनियम में संशोधन के जरिये निजीकरण की कार्यवाही के प्रयास का आरोप लगाते हुये बिजली कर्मचारियों ने हडताल की चेतावनी दी है। नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एंड इन्जीनियर्स के आव्हान पर होने वाली हड़ताल में देश के लगभग 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर भाग लेंगे। एनसीसीओईईई ने यह भी एलान किया है कि यदि निजीकरण करने के लिये इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में संशोधन करने के लिये अध्यादेश जारी करने की कोशिश हुई तो बिना और कोई नोटिस दिए देश भर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर उसी समय लाइटनिंग हड़ताल पर चले जाएंगे।
एनसीसीओईईई ने कहा है कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में निजी घरानों के घोटाले से बैंकों का ढाई लाख करोड़ रु पहले ही फंसा हुआ है फिर भी निजी घरानों पर कोई कठोर कार्यवाही करने के बजाय केंद्र सरकार नए बिल के जरिये बिजली आपूर्ति निजी घरानों को सौंप कर और बड़े घोटाले की तैय्यारी कर रही है। ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने रविवार को बताया कि एनसीसीओईईई की समन्वय समिति में ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन, ऑल इण्डिया फेडरेशन ऑफ पॉवर डिप्लोमा इंजीनियर्स, इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस फेडरेशन ऑफ इण्डिया (सीटू), ऑल इन्डिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस (एटक), इण्डियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (इन्टक), ऑल इन्डिया पावरमेन्स फेडरेशन तथा राज्यों की अनेक बिजली कर्मचारी यूनियन शामिल हैं।(
उन्होने बताया कि उत्तर प्रदेश में सभी ऊर्जा निगमों के तमाम कर्मचारी इंजीनियर 08 जनवरी को एक दिन का कार्य बहिष्कार शुरू करेंगे कार्य बहिष्कार के दौरान बिजली कर्मचारी कोई कार्य नहीं करेंगे और कोई फाल्ट होने पर उसे एक दिन बाद ही अटेण्ड किया जाएगा। दुबे ने कहा कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में किये जा रहे जनविरोधी प्रतिगामी प्राविधानों का बिजली कर्मचारी और इन्जीनियर्स प्रारम्भ से ही विरोध करते रहे है और इस सम्बन्ध में केंद्र सरकार को लिखित तौर पर कई बार दिया जा चुका है। संशोधन पारित हो गया तो सब्सिडी और क्रास सब्सिडी तीन साल में समाप्त हो जाएगी जिसका सीधा अर्थ है कि किसानों और आम उपभोक्ताओं की बिजली महंगी हो जाएगी जबकि उद्योगों व् व्यावसायिक संस्थानों की बिजली दरों में कमी की जाएगी।