नई दिल्ली। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी ने गुरुवार को लोकसभा में एक चर्चा के दौरान अपनी बात पूरी तरह अविरल संस्कृत में रखकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक, 2019 पर चर्चा के दौरान सारंगी से ठीक पहले बोलते हुये वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की गीता विश्वनाथ वंगा ने भी अपनी बात रखने के क्रम में अंत के कुछ मिनट संस्कृत में अपनी बात रखी थी। ओडिशा के बालोसोर सीट से भारतीय जनता पार्टी सदस्य सारंगी ने कहा कि संस्कृत केवल भारतीय भाषाओं की ही नहीं, सभी भाषाओं की जननी है।
‘फादर’, ‘मदर’, ‘ब्रदर’ जैसे कई शब्दों के उदाहरण देते हुये उन्होंने कहा कि ग्रीक में हजारों शब्द संस्कृत से लिये गये हैं। उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि संस्कृत का जन्म पाणिनी व्याकरण के साथ हुआ है। लेकिन स्वयं पाणिनी ने अपने व्याकरण में कई पुराने व्याकरणों का उद्धरण दिया है। इससे साबित होता है कि संस्कृत भाषा उससे भी ज्यादा पुरानी है। साथ ही यह भी एक तथ्य है कि भाषा पहले आती है और व्याकरण बाद में। इससे संस्कृत और पुरानी भाषा साबित होती है। सारंगी ने कहा कि कुछ लोग यह कहते हैं कि संस्कृत पढ़कर पेट नहीं पाला जा सकता। तो अंग्रेजी या विज्ञान पढ़कर पेट पलने की क्या गारंटी है।
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद पढ़ने वाला चिकित्सा के क्षेत्र में, कर्मकांड पढ़ने वाला विदेशों में रह रहे भारतीयों को कर्मकांड कराकर और साहित्य तथा व्याकरण पढ़कर इसके पठन-पाठन और लेखन से जीविकोपार्जन हो सकता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि संस्कृत को जीविकोपार्जन से ऊपर उठकर देखना चाहिये। इसका साहित्य मानवीय मूल्यों का भंडार है। उन्होंने कहा कि सर्वाधिक प्राचीन भाषा होने के साथ ही संस्कृत सबसे आधुनिक भाषा भी है। संस्कृत भाषा के अनादर से ही देश की अधोगति हुई है और उसके सम्मान से ही देश का उत्थान होगा। सारंगी ने 10 मिनट से ज्यादा लगातार संस्कृत में बोलकर जब अपनी बात समाप्त की तो सत्ता पक्ष तथा कुछ विपक्षी सदस्यों ने भी मेजें थपथपाकर उनकी सराहना की।