लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार कृषि एवं किसानों की उन्नति के लिए दृढ़संकल्पित है और सरकार ने कृषकों के हित में विभिन्न निर्णय लिए हैं। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने आज यहां केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और उत्पादन आदि के बारे विस्तार से संवाददाताओं को बताया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018-19 में प्रदेश में 604.15 लाख मैट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ जो अब तक का सर्वाधिक उत्पादन है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1950-51 में पूरे देश में कुल 508.2 लाख मैट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन था। उन्होंने बताया कि 2018 में खरीफ में कुल 196.03 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ था। इस वर्ष खरीफ 2019 में 201.45 लाख टन खाद्यान्न तथा एवं 1.89 लाख टन तिलहन तथा कुल 203.34 लाख टन उत्पादन होने की संभावना है। रबी 2018-19 में 405.60 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन तथा जायद में 2.52 लाख टन खाद्यान्न और 13.31 लाख टन उत्पादन हुआ।
शाही ने कहा कि प्रदेश में धान की खेती लगभग 59 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में करायी जाती है। खरीफ फसलो की कटाई के तत्काल बाद किसान रबी फसलो की बुवाई शुरू करते है। इन फसलो खासकर धान की फसल की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच कम समय होने के कारण पराली जलाने की समस्या खासतौर पर प्रदेश के पश्चिमी तथा तराई क्षेत्र के जिलों में प्रकाश में आई है।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने से जहां कार्बनिक पदार्थ जलता है भूमि की भौतिक एवं रासायनिक संरचना पर भी कुप्रभाव पड़ते है तथा लाभदायक मित्रकीट भी मर जाते है साथ ही पर्यावरण भी प्रदूषित होता है जिससे धुंध होती है और श्वास, नेत्र एवं त्वचा रोग की समस्या उत्पन्न होती है। कृषि मंत्री ने बताया कि पराली जलाने की घटना को भारत सरकार तथा राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा पराली जलाये जाने की घटना पर दण्डात्मक कार्रवाई भी निर्धारित की है, जिसके तहत 02 एकड से कम भूमि वाले किसानों के लिए प्रति घटना 2,500, दो से पांच एकड भूमि जोत वाले लघु कृषको के लिए 5,000 प्रति घटना, पांच एकड से अधिक भूमि रखने वालों पर 15,000 प्रति घटना जुर्माना है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में एक अक्टूबर से 30 नवम्बर तक कुल 4225 फसल अवशेष जलाने की घटनाएं हुयी थी। अब तक राज्य में धान की पराली जलाने की 4871 ,गन्ने की पत्ती जलाने की 194,कूडा अवशेष जलाने की 364 और 81 अन्य घटना कुल 5510 घटनाएं प्रकाश में आई। इसी क्रम में 218 लोगों के खिलाफ कार्रवाई के अलावा 526 विभागीय कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जबकि 1867 मामले दर्ज कराये गये और 126 लोगों को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों पर 237.32 लाख रुपये जुर्माना किया और 66 लाख तीन हजार जुर्माना वसूली गयी गई। उन्होंने बताया कि निराश्रित गोवंश स्थलो को 1183.31 टन पराली भेजी गयी और जिला प्रशासन द्वारा 47 कम्बाइन हार्वेस्टर जब्त की गई।