नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने देहरादून स्थित राष्ट्रीय दृष्टि बाधित संस्थान (एनआईवीएच) में यौन शोषण के मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए गुरुवार को केन्द्र सरकार को निर्देश दिये हैं कि वह तीन सप्ताह के अंदर संस्थान में नियमित निदेशक की नियुक्ति करे। इस मामले की सुनवाई आज मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में हुई। यह जानकारी न्यायमित्र अधिवक्ता ललित बेलवाल ने दी। बेलवाल ने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से आज भी इस मामले में कोई जवाब पेश नहीं किया गया। इसके बाद अदालत ने मामले को काफी गंभीरता से लिया।
उन्होंने कहा कि अदालत का मानना है कि संस्थान में नियमित निदेशक की नियुक्ति नहीं होने से संस्थान में यौन शोषण जैसी घटनायें प्रकाश में आ रही हैं। न्यायमित्र अधिवक्ता बताया कि इसके बाद अदालत ने केन्द्रीय समाज कल्याण मंत्रालय को निर्देश दिये कि तीन सप्ताह के अंदर संस्थान में नियमित निदेशक की नियुक्ति करे। साथ ही यह भी निर्देश दिये हैं कि यदि इस अवधि में नियमित निदेशक की नियुक्ति नहीं की जाती है तो आगामी छह जनवरी को समाज कल्याण सचिव अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश हों। बेलवाल ने यह भी बताया कि अदालत ने देहरादून के जिलाधिकारी सी. रविशंकर को भी निर्देश दिये हैं कि वह शपथपत्र के माध्यम से पूरे मामले की प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करें। रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख करें कि यौन शोषण के दोषियों के खिलाफ अभी तक क्या कार्यवाही की गयी है।
इस मामले में अगली सुनवाई के लिये छह जनवरी की तिथि नियत की गयी है। उल्लेखनीय है कि संस्थान में पिछले साल से अब तक यौन शोषण की दो घटनायें प्रकाश में आ चुकी हैं। पहली घटना के प्रकाश में आने के बाद संस्थान की निदेशक को सिकंदराबाद स्थानांतरित कर दिया गया था। तब से लेकर आज तक संस्थान में नियमित निदेशक नहीं है। यौन शोषण संबंधी खबरें समाचार पत्रों में छपने के बाद उच्च न्यायालय ने इस प्रकरण में स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर की थी। यौन शोषण का आरोप संस्थान के संगीत शिक्षक पर लगाया गया था। इसके बाद इसी साल 02 सितम्बर को भी संस्थान में यौन शोषण की दूसरी घटना प्रकाश में आयी थी। इस घटना में संस्थान के एक मासूम छात्र ने अपने से बड़ी कक्षा के छात्र पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। इस मामले में 11 सितम्बर को राजपुर रोड थाने में मामला दर्ज किया गया था।