नई दिल्ली। भारत पेट्रोलियम की पूरी हिस्सेदारी बेचने के मंत्रिमंडल के फैसले को गलत बताते हुये सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणनियों के अधिकारियों के संगठन और महारात्न कंपनियों के परिसंघ ने विरोध करने का फैसला किया है। फेडरेशन ऑफ ऑल पीएसयू ऑफिसर्स (फोपो) और महारत्न कंपनी परिसंघ (कॉमको) की शु्क्रवार को यहाँ हुई संयुक्त बैठक में कहा गया, ‘‘यह फैसला गलत, पीछे की लौटने वाला और लोगों के खिलाफ है। बिना हिस्सेदारी बेचे या प्रबंधन स्थानांतरित किये पैसे जुटाने के वैकल्पिक उपायों पर विचार किये बिना यह फैसला किया गया।’’ दोनों संगठनों की संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है
कि लाभ कमा रही सार्वजनिक कंपनियों में विनिवेश के मंत्रिमंडल के फैसले के गुण-दोषों पर विचार करने के बाद कॉमको और फोपो ने सरकार के फैसले का पुरजोर विरोध करने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि मंत्रिमंडल की 20 नवंबर को हुई बैइक में भारत पेट्रोलियम में सरकार की पूरी 53.29 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। चार अन्य सार्वजनिक कंपनियों में भी विनिवेश् की मंजूरी दी गयी। प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि सार्वजनिक कंपनियों ने सरकार की योजनाओं को लागू करने में पूर्व में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ये काफी दक्ष और मुनाफा कमाने वाली कंपनियाँ हैं। विनिवेश के फैसले से वर्षों में बना विश्वास और काम करने की भावना समाप्त हो जायेगी।