रायपुर। छत्तीसगढ़ के उच्च न्यायालय ने आज प्रदेश सरकार द्वारा पूर्व में सेवा सहकारी समितियों को भंग करने के जारी किए गए आदेश को निरस्त कर दिया है। उच्च न्यायालय बिलासपुर में आज मुख्य न्यायाधीश रामचंद्रन और पीपी साहू की पीठ ने प्रदेश की सेवा सहकारी समितियों के भंग करने सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश के प्रकरण पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रजातांत्रिक तरीके से निर्वाचित हुई समितियों को भंग करना गलत है। उच्च न्यायालय ने सहकारी समितियों को भंग करने के आदेश को निरस्त कर दिया है। ज्ञात हो कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने प्रदेश की 1333 सेवा सहकारी समितियों को भंग करने का आदेश जारी किया था।
सरकार के इस आदेश के खिलाफ न्यायालय में 170 से अधिक याचिकाएं लगाई गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने याचिकर्ताओं को अंतरिम राहत देते हुए सरकार के आदेश पर रोक लगाने के साथ इस मामले में सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा था। जिसके बाद सरकार द्वारा सहकारी समितियों के पुर्नगठन के लिए अधिसूचना जारी करते हुए दावा-आपत्ति आमंत्रित किया गया था जिसमें दावा-आपत्ति के निराकरण किए बिना 1035 सेवा सहकारी समितियों को भंग कर दिया गया था। इसके बाद सेवा सहकारी समितियों के सदस्यों ने इस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिस पर आज सुनवाई कर उच्च न्यायालय ने सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया है।