नई दिल्ली। भारत ने श्रीलंका के नये राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से अपेक्षा व्यक्त की है कि वे समानता, न्याय, शांति एवं गरिमा की तमिल आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय मेलमिलाप की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे और देश को समग्र विकास के रास्ते पर ले जाएंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहाँ नियमित ब्रीफिंग में श्रीलंका के नये राष्ट्रपति एवं भारत के साथ उनके भावी संबंधों के बारे में पूछे गये सवालों के जवाब में कहा कि श्रीलंका अथवा किसी भी पड़ोसी देश के साथ भारत के संबंध किसी तीसरे देश के साथ संबंधों से स्वतंत्र हैं। श्रीलंका के साथ भारत के बहुआयामी संबंध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है।
प्रधानमंत्री ने अपने बधाई वाले ट्वीट में कहा था कि हम श्रीलंका की नई सरकार के साथ दोनों देशों के संबंध अधिक प्रगाढ़ बनाने एवं क्षेत्रीय शांति सुरक्षा एवं समृद्धि के मकसद से निकटता से काम करना चाहते हैं। राजपक्षे ने प्रधानमंत्री का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है और वह 29 एवं 30 नवंबर को भारत आएंगे। कुमार ने कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में कोलंबो की यात्रा की थी और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को मोदी की शुभकामनाओं का पत्र सौंपा था। इस बैठक में डॉ. जयशंकर ने राजपक्षे को भारत की अपेक्षाओं से अवगत कराया कि श्रीलंका की नई सरकार राष्ट्रीय मेलमिलाप की प्रक्रिया को आगे बढ़ायेगी ताकि तमिल समुदाय की समानता, न्याय, शांति एवं गरिमा की आकांक्षाओं को प्राप्त करने का समाधान निकल सके।
प्रवक्ता ने कहा कि राजपक्षे ने भी अपने बयान में कहा है कि वह सभी श्रीलंकाई नागरिकों के राष्ट्रपति होंगे। चाहे कोई किसी भी धर्म या नस्ल का हो, उसके साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा। चाहे उसने उन्हें वोट दिया हो या नहीं। श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने उत्तरी एवं पूर्वी प्रांतों के विकास को लेकर भी प्रतिबद्धता व्यक्त की है और कहा है कि भारत श्रीलंका के विकास में एक प्रमुख साझेदार है।