मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा में पराली जलाने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए अब तक 16 किसानों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जबकि इन घटनाओं में लापरवाही बरतने के आरोप में दो लेखपालों को निलम्बित कर दिया गया है। जिलाधिकारी सर्वज्ञ राम मिश्र ने मंगलवार को यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए 40 अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। अब तक 300 किसानों को दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इस मामले में 13 लाख पांच हजार का जुर्माना भी किया गया है तथा जुर्माना वसूलने के लिए तहसीलों से कार्रवाई हो रही है।
उन्होंने बताया कि पराली जलाने का ताजा मामला छाता तहसील के बिशंभरा गांव से मिला है जिस पर कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि दो से पांच एकड़ क्षेत्र की पराली जलाए जाने पर पांच हजार तथा पांच से दस एकड़ जलाने पर दस हजार का जुर्माना लगाया गया है। जहां लेखपालों से किसानों को समझाकर पराली जलाना रोकने को कहा गया है वहीं प्रधानों, ब्लाक प्रमुखों, विधायकों आदि से इसमे सहयोग लिया जा रहा है तथा वे भी किसानों को पराली न जलाने के बारे में बता रहे हैं।
जिलाधिकारी ने बताया कि पराली जलाना रोकने के लिए प्रशासन ने बहुत पहले से ही कार्रवाई शुरू कर दी थी। अक्टूबर माह से ही किसाना पाठशाला लगाकर किसानों को पराली जलाने से पर्यावरण को होने वाले दूषप्रभाव के बारे में जहां बता दिया गया था, वहीं उनसे पराली का उपयोग वैकल्पिक रूप से करने के बारे में जानकारी भी दी गई थी ,जिसमें चारे के रूप में इसका उपयोग प्रमुख है।
इसके कारण पराली जलाने के मामलों कमी आई है। जहां पिछले साल पराली जलाने के 1046 मामले सैटेलाइट से पकड़े गए थे वहीं इस साल इनकी संख्या घटकर 459 ही रह गई है। उन्होंने बताया कि धान अधिकतर छाता तहसील में पैदा होता है और माट तहसील गोवर्धन, महाबन तथा मथुरा तहसील में बहुत कम धान होता है । इसलिए पराली जलाने के दोषी किसानों की संख्या सबसे अधिक छाता तहसील में ही है।