नई दिल्ली। पूर्व सांसद शरद यादव ने कहा है कि अगड़े समाज के साथ-साथ पिछड़े समाज का विकास भी होना चाहिए तथा जिस प्रकार से जातिगत जनगणना देश के लिए जरूरी है उसी प्रकार से इस बात पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि पिछड़े वर्गा के सांसद और विधायक कितने हैं। यादव ने रविवार को यहां ‘वी द पीपुल’ की ओर से आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में कहा कि वैसे तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ‘सब का साथ, सब का विकास’ की बात करती है किंतु सही मायने में अगड़े समाज का हर चीज पर कब्जा है। बिहार सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने इस कार्यक्रम में कहा कि बिहार सरकार एवं नीतीश कुमार जातीय जनगणना के पक्ष में हैं और बिहार सरकार केंद्र सरकार पर 2021 की जनगणना में इसे शामिल किये जाने के लिए पूरा दबाव डालेगी।
पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने कहा कि जातीय जनगणना इसलिए जरूरी है कि हमारी सामाजिक विषमता को कम किया जा सके। जब हम भागीदारी की बात करते हैं तब आंकड़े की बात आती है और आंकड़े जनगणना से ही आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक बाइनरी रोस्टर का सवाल है, संस्थानों में आरक्षण ठीक से लागू नहीं है। भेदभाव बहुत है, यदि सारी व्यवस्था ठीक रहेगी तभी समाज आगे बढ़ेगा। अब सरकार की समस्या यह है कि वह प्रचार तो खूब कर रही है लेकिन व्यवहार में वह कुछ नहीं कर रही है। इस संगोष्ठी के जरिए जो पहल की गई है उसे आगे बढ़ाया जाए और अपनी हिस्सेदारी के लिए लड़ा जाए।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष एफ आई इस्माइली ने कहा हम किसी जाति , समाज अथवा उच्च वर्ग के खिलाफ नहीं है लेकिन समानता और एकल अधिकार के पक्षधर हैं और इसकी गारंटी हमारा संविधान भी देता है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 31 अगस्त 2018 को कहा था कि 2021 की जनगणना मे जाति संबंधी कालम जोड़ा जाएगा जिससे यह पता चल सकेगा कि ओबीसी वर्ग की असली आबादी कितनी है। लेकिन 31 जुलाई 2019 को केन्द्र सरकार ने जातिगत जनगणना से साफ इनकार कर दिया है और यह ओबीसी समाज के साथ एक बहुत बड़ा धोखा है।