24 Apr 2024, 04:33:31 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
State

जैसलमेर जिले के बसिया की दिव्या बनी प्रेरणा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 18 2019 4:30PM | Updated Date: Oct 18 2019 4:30PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

जैसलमेर। राजस्थान के सीमांत जैसलमेर जिले में एक समय बेटियों को पैदा होते ही मारकर दफन कर देने वाले बसिया क्षेत्र की बेटी दिव्या सिंह राष्ट्रीय कैडेट कौर के दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय अभियान में भाग लेकर आज अन्य बेटियों के लिए प्रेरणा बनी है। यह बदलाव की बयार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को न केवल सार्थक बना रही बल्कि इसे सम्बल प्रदान कर इस पिछड़े क्षेत्र में अन्य बेटियों के लिए प्रेरणादायक भी है।  सिंह ड़ार गांव के पूर्व सैनिक दुर्जन  सिंह की बेटी दिव्या  सिंह विद्यावाड़ी में स्रातक अंतिम वर्ष की छात्रा है। एनसीसी की सैनिक है। बचपन से दिव्या ने सेना की वर्दी का सपना देखा। रूढ़िवादी गांव में उनके पिता दुर्जन  सिंह ने बेटी का साथ दिया। गांव में शिक्षा की माकूल व्यवस्था नहीं होने के कारण दिव्या को पाली जिले के विद्यावाड़ी स्कूल में शिक्षा अर्जन के लिए दाखिल कराया गया। होनहार दिव्या पढ़ाई में अव्वल रही है साथ ही अन्य गतिविधियों में भी निरन्तर हिस्सा लेती है। उनके पिता उनका हौसला बढ़ाते है। हर कदम पर साथ देते है। दिव्या ने कॉलेज शिक्षा में प्रवेश के साथ एनसीसी जॉइन कर ली।
 
दिव्या ने बताया कि उसका सपना है कि वह सेना की वर्दी पहने। उन्होंने देश सेवा का सपना देखा है। इसी सपने को पूरा करने के लिए एनसीसी में भर्ती हुई। दिव्या बताती है कि यह सुनकर बड़ा बड़ा दुख होता है कि जब उनके क्षेत्र में बेटियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता था। उसने कहा कि वह भाग्यशाली है कि उसे माता पिता का पूरा सहयोग मिल रहा है। दिव्या राजस्थान एनसीसी की तरफ से इस बार राजधानी दिल्ली में आयोजित एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान का हिस्सा बनी। दिव्या ने बताया कि उसके लिए यह गौरव के क्षण थे जब वो देश की राजधानी में तिरंगे के सामने सलामी ले रही थी। दिव्या  सिंह तीन राज गर्ल्स बी एनएनसीसी जोधपुर टीम का हिस्सा है। अपनी टीम के साथ दिव्या दिल्ली में एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान में हिस्सा लेकर राजस्थान खासकर जैसाण का नाम रोशन किया। कहा जाता है कि जिले के कुछ गांवों में कई सालों पहले अंधविश्वास एवं पिछड़ेपन के चलते बेटी के पैदा होते ही मार दिया जाता था। इस कारण बसिया के देवड़ा गांव में 1998 में 120 साल बाद पहली बारात आई थी। उस समय यह  गांव प्रदेश और देश की सुर्खियों में आ गया था। समय के साथ इन गांवों में भी बदलाव आया और आज इन गांवों के हर  घर में बेटी को भी बेटे के बराबर सम्मान दिया जाने लगा है। 
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »