भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि मेरी प्राथमिकता है मध्यप्रदेश को एक ऐसी दिशा और दृष्टि दें जिससे प्रदेश का हर वर्ग लाभान्वित हो। प्रदेश में संसाधनों की कमी नहीं है, जरूरत इस बात की है कि हम उनका उपयोग कैसे ‘मैग्नीफिसेंट मध्यप्रदेश’ बनाने में करें। कमलनाथ आज यहां एक निजी चैनल द्वारा आयोजित बिजनेस लीडर्स मध्यप्रदेश सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले दस माह में हमने इस दिशा में अपनी नियत और नीति से यह बताया है कि हमारा लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ विकास है, जिसमें किसानों को दाम और नौजवानों को काम मिले। समारोह में जनसंपर्क मंत्री पी सी शर्मा भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश के पास अकूत वन और खनिज संपदा है। प्रदेश की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। कृषि क्षेत्र सुदृढ़ किसानों की आय में वृद्धि हो, यह हमारी प्राथमिकता है। ऋण माफी के जरिए हमने किसानों के बोझ को कम किया है। अब हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि अधिक उत्पादन का किस तरह उपयोग करे, जिससे किसानों को फायदा मिले। हम कृषि और उद्योग क्षेत्र के बीच में एक सेतु बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के माध्यम से किसानों के अधिक उत्पादन का उपयोग हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि जीडीपी का मायने हमारे लिए यह है कि मध्यप्रदेश में आर्थिक गतिविधियाँ बढ़े। इससे हम लोगों की क्रय शक्ति बढ़ा सकेंगे और इससे लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा। कमलनाथ ने कहा कि निवेश को हमने रोजगार से जोड़ा है। सबसे पहले निवेशकों का विश्वास मध्यप्रदेश के प्रति हो। इस दिशा में हमने काम किया है और हम काफी हद तक इसमें सफल भी हुए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे लिए वही निवेश महत्वपूर्ण है और उसी को हम प्रोत्साहित करेंगे जो अधिक से अधिक रोजगार दे और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाए। उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल बनाए जाने का उल्लेख करते हुए कमलनाथ ने बताया कि हाल ही में मंत्रिमंडल की बैठक में हमने महत्वपूर्ण निर्णय लिए हो निवश को प्रोत्साहित करने में हमारी मदद करेंगे।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में स्थापित होने वाले उद्योगों में 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार मिले, इसके लिए हमने उद्योग नीति में प्रावधान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि तंत्र को निवेश सहयोगी बनाने के लिए भी हमने महत्वपूर्ण निर्णय लिए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा अगला कदम होगा कि हम अपनी कल्याणकारी योजनाओं का ‘डिलेवरी सिस्टम’ मजबूत हो। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार की कई कल्याणकारी योजनाएँ चल रही हैं, लेकिन हमारा क्रियान्वयन व्यवस्था ठीक न होने से जरूरतमंदों तक उसका लाभ नहीं पहुंच रहा है।