नई दिल्ली। देश के जाने-माने बुद्धिजीवियों और सामजिक कार्यकर्ताओं ने भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या किये जाने (मॉब लिंचिंग) के विरोध में मंगलवार को राजधानी के जंतर-मंतर से गृह मंत्रालय तक मार्च निकाला। बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधति रॉय, जाने-माने वकील प्रशांत भूषण, सांसद कुंवर दानिश अली, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से अचानक लापता हुए छात्र नजीब अहमद की मां फातिमा नफीस, पत्रकार गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश, झारखंड में भीड़ की कथित हिंसा में मारे गये तबरेज अंसारी की पत्नी शाइस्ता अंसारी समेत कई बुद्धिजीवी, सामजिक कार्यकर्ता और पीड़तिों के परिवार के सदस्य इस मार्च में शामिल हुए। ये लोग यूनाइटेड अगेंस्ट हेट संस्था के बैनर तले जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए थे जहां से गृह मंत्रालय तक मार्च निकाला गया।
जेएनयू से तीन वर्ष पहले अचानक लापता हुए छात्र नजीब की मां ने अपने बेटे के लापता होने के संबंध में गृह मंत्रालय को एक ज्ञापन भी सौंपा। उन्होंने ज्ञापन में गृह मंत्रालय से मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि नजीब के लापता होने की जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो ने प्रारंभिक जांच किये बिना ही 2018 में अपनी क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी। यहां तक कि आरोपियों के कॉल डिटेल तक नहीं निकाले गये और ऐसे में तीन वर्ष से लापता एक व्यक्ति के बारे में इस तरह की जांच स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि नजीब जिंदा है और मामले को दोबारा खोलकर उसे खोजा जाना चाहिए। उन्होंने मांग की कि अगर देश की जांच एजेंसियों को उसका पता नहीं चलता तो अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से इस मामले की जांच में मदद ली जाये।
जेएनयू में एमएससी बायोटेक्नोलॉजी प्रथम वर्ष का छात्र नजीब अहमद 15 अक्टूबर 2016 को विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों के साथ हुई झड़प के बाद से लापता है। सीबीआई ने दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी क्लोजर रिपोर्ट दायर कर कहा था कि सभी कोणों से मामले की जांच के बावजूद किसी तरह की गड़बड़ी का कोई सबूत नहीं मिला था। इस कार्यक्रम में उपस्थित अरुंधति रॉय ने कहा कि नजीब की मां तीन वर्ष से अपने बेटे की तलाश में भटक रही हैं। वह लगातार संघर्ष कर रही हैं लेकिन उन्हें इंसाफ नहीं मिला। उनके साथ ही कई अन्य लोगों को भी इंसाफ नहीं मिला है। इस समय केवल बहुसंख्यकों की आवाज सुनी जा रही है।
अल्पसंख्यकों को न्याय नहीं मिल पा रहा। उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग अब सुनियोजित तरीके से की जा रही है। भूषण ने कहा कि इस देश की तहजीब गंगा-जमुनी रही है। एक तरह की संस्कृति से देश का विकास संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ-सबका विकास की बात करते हैं लेकिन उसे धरातल पर नहीं उतारा जा सका है। कविता लंकेश ने कहा कि वह मॉब लिंचिंग के पीड़तिों के परिवारों की व्यथा महसूस कर सकती हैं क्योंकि वह भी उससे गुजर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस मार्च में एकत्रित लोग प्रयास कर रहे हैं कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो।