नई दिल्ली। सेना ने भूतपूर्व सैनिकों के प्रति सद्भावना का परिचय देते हुए 9वीं गोरखा राइफल्स के सबसे बुजुर्ग हवलदार देवी लाल खत्री को उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित किया है। 9 वीं गोरखा राइफल्स के कर्नल और सैन्य सचिव लेफ्टिनेंट जनरल ए. के. भट्ट तथा 3 गोरखा राइफल्स के मेजर जनरल डीए चतुर्वेदी ने हवलदार खत्री को गत 7 अक्टूबर को सम्मानित किया। उन्हें यह सम्मान देहरादून के बीरपुर में गोरखा राइफल्स के बुजुर्ग सैनिकों के लिए आयोजित वार्षिक बड़ा खाना समारोह में प्रदान किया गया। देहरादून तीसरी और नौवीं गोरखा रेजिमेंट का परंपरागत गढ है क्योंकि इन रेजिमेंटों का 1932 से 1975 तक बीरपुर ही केंद्र रहा है।
दोनों रेजिमेंटों के अनेक गोरखा सिपाही देहरादून में ही बस गए हैं। दशहरे के अवसर पर तीसरी और नौवीं गोरखा यूनिट बड़ा खाना के लिए बुजुर्ग सैनिकों को आमंत्रित करती हैं। हवलदार देवी लाल खत्री 30 नवंबर 1940 को बीरपुर में 1/9 गोरखा राइफल्स में भर्ती हुए थे। बाद में उन्हें 3/9 गोरखा राइफल्स में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां उन्होंने 1958 में सेवानिवृत्त होने तक सेवा की। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में बर्मा के मोर्चे पर सक्रिय कार्रवाई देखी है। वह आजादी के बाद 1958 तक जम्मू-कश्मीर, नगालैंड और असम में सेना के विभिन्न अभियानों का हिस्सा रहे हैं। उन्हें दो बर्मा स्टार्स और ‘जे एंड के’ 1948 पदकों से नवाजा गया था। उन्हें विशिष्ट गोरखा सिपाही के रूप में जाना जाता है। हवलदार देवी लाल खत्री ने देहरादून में भारतीय सर्वेक्षण विभाग के साथ अपने केरियर की दूसरी पारी भी शुरू की थी। वह अनुशासित दिनचर्या के साथ सक्रिय जीवन शैली का आनंद उठा रहे हैं। वह अपने परिवार के साथ नया गांव, हाथीबडकला, देहरादून में रहते हैं।