अगर आप शनिदेव की पूजा करते हैं तो उस समय काले वस्त्र को धारण करना काफी शुभ माना जाता है। सरसों के तेल में लोहे की कील डालकर पीपल की जड़ में तेल चढ़ाने से शनिदेव जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं। जब भी शनिवार के दिन तेल दान करें तो उसमें अपनी परछाई जरूर देखें। परछाई दिखने के बाद ही उसे दान करें। शनिवार के दिन शनि देव का व्रत महिला अथवा पुरूष कोई भी कर सकता है। स्नान करने के पश्चात पीपल पेड़ या शमी के पेड़ के नीचे गोबर से लीप लें और वह बेदी बनाकर कलश और शनिदेव की मूर्ति स्थापित करें। शनिदेव की प्रतिमा को काले पुष्प, धुप, दीप, तेल से बने पदार्थों का प्रसाद चढाएं। पीपल के पेड़ को सूत का धागा लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें और साथ ही पेड़ की भी पूजा करें। इसके बाद हाथ में चावल और फूल ले कर भगवान शनिदेव की व्रत कथा सुने और पूजा पूरी होने के बाद प्रसाद सभी को बांटे। महीने के पहले शनिवार को उड़द का भात, दूसरे शनिवार को खीर, तीसरे शनिवार को खजला और अंतिम शनिवार को घी और पूरी से शनिदेव को भोग लगाएं।
सेवा- माता- पिता, गुरु और बड़ों का सत्कार व सेवा करने वाले व्यक्ति पर शनि मेहरबान रहते हैं। इसके विरुद्ध आचरण करने वाले व्यक्ति को शनि का प्रकोप सहना पड़ता है।
दान-पुण्य- शनि देव दान से जल्द ही प्रसन्न होते हैं, अपना कर्म ठीक रखें तभी भाग्य आप का साथ देगा और कर्म कैसे ठीक होगा इसके लिए आप धर्म के मार्ग पर चलते हुए दान-पुण्य करें। इंसान का भला और बुरा तो उसके स्वयं के कर्मों की वजह से होता है। अगर आपके कर्म अच्छे हैं तो आपका बुरा होना नामुमकिन है।