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Astrology

ये हैं होलिका दहन का महत्व

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Mar 4 2018 2:42PM | Updated Date: Mar 4 2018 2:45PM
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फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होली का पर्व मनाया जाता है। होली सिर्फ रंगों ही नहीं एकता, सद्भावना और प्रेम का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन कई लोग व्रत करके भगवान के प्रति अपनी आस्था मजबूत करते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत करने वालों की भगवान हमेशा भक्त प्रह्लाद की तरह रक्षा करते हैं। 
 
इसी के साथ वसंत के इस पर्व के बाद नए मौसम की शुरूआत होती है जिसमें खेत-खलिहान नई फसल से लहराते हैं। व्रत करने वाले नई फसल के लिए भगवान से प्रार्थना करते हैं। इस दिन होलिका में कच्ची बालियां भूनी जाती हैं और प्रसाद के रुप में ग्रहण की जाती हैं। 
 
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक मानी जाती है। होली पूजन से हर प्रकार के डर पर विजय प्राप्त की जा सकती है। इस पूजन से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मां अपने पुत्र को बुरी शक्तियों से बचाने के लिए मंगल कामना के लिए यह पूजा करती है। व्रत को होलिका दहन के बाद खोला जाता है। व्रत खोलने पर ईश्वर का ध्यान कर सुख-समृद्धि की कामना की जाती है। 
 
पूजा करते समय मुख को पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ रखा जाता है। जल की बूंदों का छिड़काव अपने आस-पास और पूजा की थाली पर करना लाभदायक माना जाता है। इसके बाद भगवान नरसिंह का स्मरण करते हुए उन्हें रोली, मौली, अक्षत और पुष्प अर्पित किए जाते हैं।होलिका दहन के बाद पुरुषों के माथे पर तिलक लगाया जाता है।
 
होली जलने पर रोली-चावल चढ़ाकर सात बार अर्घ्य देकर परिक्रमा की जाती है। मान्यता है कि होली की अग्नि को घर में लाकर रख देना चाहिए इससे घर की नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं। कई लोगों की मान्यता है कि होली की अग्नि पर अगले दिन का नाश्ता बनाना शुभ होता है और इससे बीमारियों का अंत होता है। 
 
भूने हुए गेहूं की बालियां घर के बड़े- बुजुर्गों को अर्पित किया जाता है। होलिका दहन का पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव के क्रोध से कामदेव भस्म हो गए थे, जिससे प्रेम की वासना पर विजय हुई थी। अन्य कथा के अनुसार इस दिन राक्षस हिरण्यकश्यिपु और उसकी बहन होलिका का अंत हुआ था और भक्त प्रह्लाद की भक्ति की विजय हुई थी।
 
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