मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने पंचमी तिथि को नाग सर्प को वर दिया था की जन्मेजय के सर्प यज्ञ के दौरान ऋषि आस्तिक मुनि उनकी रक्षा करेंगे। पंचमी के दिन ही आस्तिक मुनि ने नागो की रक्षा की थी अतः पंचमी तिथि नागों को विशेष प्रिय हो गयी।
श्रावण मास की पंचमी नाग पूजन हेतु विशिष्ट मानी गई है। प्रत्येक माह की पंचमी के साथ नाग पंचमी के दिन जो मनुष्य 12 नाग- अनंत ,वासुकी ,शंख ,पद्म ,कंबल, कर्कोटक ,अश्वतर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, काली, तक्षक ,और पिंगल का विधिवत पूजन करता है, साथ ही सोने, चांदी अथवा तांबे से निर्मित सर्प युग्म बनवाकर शिव मंदिर में चढ़ाता है, उसे या उसके परिवार को सर्प भय सदा सदा के लिए समाप्त हो जाता है। शिव कृपा होती है, तथा सर्पदोष, विष दोष एवं कालसर्प दोष जनित बाधाओं की निवृत्ति होती है।
नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करते हुये यह प्रार्थना की जानी चाहिए कि, जो नाग पृथ्वी में, आकाश में, स्वर्ग में, सूर्य किरणों में, सरोवरों में ,बांबी में, कूप में या तालाब में निवास कर रहे हो, वह सब हम पर प्रसन्न हो एवं अपना आशीर्वाद हमें प्रदान करें।
ज्योतिष विद राजेश साहनी रीवा