आज श्रावण मासीय चार सोमवारों की श्रंखला में में शिव भक्तों द्वारा दूसरा सोमवार प्रदोष में शिव आराधना के साथ मनाया जायेगा। प्रत्येक चंद्र मास की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने का विधान है। मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं तथा भक्तों को आशीर्वचन देते हैं। सोमवार पर भगवान शिव का आधिपत्य माना गया है तथा प्रदोष भगवान शिव के पूजन आराधन हेतु विशिष्ट है अतः आज सोम प्रदोष में भगवान शिव का पूजन सर्व कल्याणकारी होगा।
आज श्रावण मास के दूसरे सोमवार पर त्रयोदशी तिथि सूर्योदय से लेकर दिन-रात संचरण करेंगी। सोम प्रदोष के दिन प्रदोष काल में शिव पूजन का सर्वाधिक महत्व माना गया है। ज्योतिष के अनुसार प्रदोष काल सूर्यास्त से लेकर चार घटी अर्थात 96 मिनट तक व्याप्त रहता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष का तात्पर्य है समस्त दोषों से मुक्ति प्रदान करने वाला पुण्य काल। अतः आज सोम प्रदोष के अद्भुत संयोग में प्रदोष काल में शिव पूजन करने से मनुष्य के रोग, ऋण, ग्रह बाधा, पाप ताप इत्यादि दोषों का निवारण होता है।
श्रावण मास के दूसरे सोमवार को महाकालेश्वर शिव की पूजन करने का विधान है। सर्वप्रथम शिवलिंग में महाकालेश्वर शिव का आवाहन करें तत्पश्चात पंचामृत से अभिषेक करते हुए शिवलिंग पर यज्ञोपवीत, बेलपत्र, भांग ,शमी के पत्र, धतूरा, भस्म, तथा कनेर के पुष्प अर्पित करें। कपूर से महा शिव की आरती करें तथा यथासंभव शिव पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। आज के दिन प्रदोष काल बेला में शिव पूजन, रुद्राभिषेक, शिव स्त्रोत का पाठ पंचाक्षरी मंत्र का जाप अथवा बिल्वर्चन अवश्य किया जाना चाहिये।
आज शिवलिंग पर एक मुट्ठी सफेद तिल चढ़ाने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस प्रकार किए गए शिव पूजन से मनुष्य के आर्थिक मार्ग प्रशस्त होते हैं, पारिवारिक एवं शारीरिक कलह दूर होते है तथा भौतिक बाधाओं का शमन होता है।
ज्योतिर्विद राजेश साहनी