धन-दौलत और स्वर्ण की चाह रखने वालों को 21 मुखी रूद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए। इसे पूजा स्थान में भी रखा जा सकता है। रूद्राक्ष अनेक मुखों वाले आते हैं लेकिन उनमें लक्ष्मी को आकर्षित करने वाला सबसे प्रभावी रूद्राक्ष है 21 मुखी रूद्राक्ष। इसमें स्वयं भगवान शिव ने कुबेर की स्थापना की है। इसलिए 21 मुखी रूद्राक्ष जिस घर में होता है वहां धन-दौलत, स्वर्ण और ऐश्वर्य की कभी कमी नहीं होती है।
इस रूद्राक्ष में कुबेर के अलावा ब्रह्मा, विष्णु और महादेव का वास भी होता है। इसे घर में रखने से शांति एवं सद्भाव का वातावरण पैदा होता है। यह रुद्राक्ष अपार समृद्धि लेकर आता है। इस रूद्राक्ष से व्यक्ति में सद्कर्मों का उदय होता है। इस रूद्राक्ष की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यदि इसे गृहस्थ व्यक्ति सुख-समृद्धि के उद्देश्य से धारण करे तो उसे इच्छित फल मिलता है और यदि अध्यात्म के मार्ग पर चलने की चाह रखने वाला व्यक्ति 21 मुखी रूद्राक्ष धारण करे तो वह उच्च कोटि का साधक बनता है।
21 मुखी रूद्राक्ष के लाभ
21 मुखी रूद्राक्ष घर में रखने से शांति एवं सद्भाव का वातावरण पैदा होता है और यह रूद्राक्ष अपार समृद्धि लेकर आता है।
इसे पहनने से आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि होती है और व्यक्ति सत्य और संयमित जीवन जीने की राह पर चल पड़ता है।
भगवान कुबेर का स्वरूप यह रूद्राक्ष धन धान्य की कमी को दूर करता है। इसे धारण करने से निर्धन भी धनवान हो जाता है।
भूमि, भवन, संपत्ति, वाहन सुख इस रूद्राक्ष को पहनने से स्वयं ही खिंचे चले आते हैं।
प्रेम, सौंदर्य और आकर्षण प्रभाव में वृद्धि भी इस रूद्राक्ष को पहनने से होती है।
यह रूद्राक्ष उन लोगों को जरूर पहनना चाहिए जो अपने कार्यक्षेत्र में शीर्ष पर हैं या किसी कंपनी में बड़े ओहदे पर बैठे हैं। जिनका बड़ा बिजनेस है, राजनेता आदि को यह जरूर पहनना चाहिए। इससे वे अपने क्षेत्र में टॉप पर बने रह सकते हैं।
साधकों के लिए यह रूद्राक्ष तीसरे नेत्र के समान है
ग्लैमर, फिल्म इंडस्ट्री, संगीत, नृत्य, लेखन के क्षेत्र के लिए
ग्लैमर, फिल्म इंडस्ट्री, संगीत, नृत्य, लेखन आदि के क्षेत्र में सफलता के लिए 21 मुखी रूद्राक्ष धारण करना चाहिए।
यह रूद्राक्ष नाम, प्रसिद्धि, शोहरत, दौलत सबकुछ प्रदान करता है।
साधकों के लिए यह रूद्राक्ष तीसरे नेत्र के समान है। इस पर ध्यान लगाने से आज्ञा चक्र जागृत होता है और व्यक्ति भूत, भविष्य देखने में सक्षम होता है।
इसे पहनने से व्यक्ति के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इससे अनेक प्रकार के रोग दूर हो जाते हैं।
कहा जाता है यदि सही समय पर सही मात्रा में 21 मुखी रूद्राक्ष का पानी रोगी को पिलाया जाए तो यह मृत्यु के मुंह से बचा लाता है।
21 मुखी रूद्राक्ष शनि, मंगल, राहु-केतु जैसे ग्रहों के दोषों से रक्षा करता है।
मासशिवरात्रि या प्रदोष तिथि
21 मुखी रूद्राक्ष कैसे धारण करें
इस रूद्राक्ष को धारण करने का सबसे उत्तम समय है मासशिवरात्रि या प्रदोष तिथि। इनके अलावा किसी भी शुक्ल पक्ष के सोमवार के दिन इसे धारण किया जा सकता है। धारण करने से पहले इसे गंगाजल, कच्चा दूध और फिर गंगाजल से धोकर पवित्र कर लें। इसके बाद पूजन करके शिवलिंग से स्पर्श करवाकर शिव पंचाक्षरी मंत्र 'ऊं नम: शिवाय" की एक माला जाप करके सोना, चांदी या लाल धागे में पहना जा सकता है।